Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६.३॥
योधावोंका भंग देखकर राक्षसोंके योचावोंको हणतेभए और अपने योधावोंको धीर्य बंधाया बॉनर , पद्म पुराण बंशियोंके आगे लंकाके लोकों को चिगते देव बडे २ स्वामी भक्त गवणके अनुरागी महाबल से मंडित
हाथियों के चिन्हकी हैं धजा जिनके हाथियोंके रथ चढे महायोधा हस्तप्रहस्त बानरवंशियों पर दौडे
और अपने लोगों को धीर्य बंधाया हो सामंत हो भय मत कगे हस्त प्रहस्त दोनों महा तेजस्वी बानर वंशियोंके योधावोंको भगावते भए तब बानरवांशयों के नायक महाप्रतापी हाथियों के रथ चढ़े महाशूर
वीर परमतेज केधारक सुग्रीवके काकाके पुत्र नल नील महाभयंकर क्रोधायमान होय नानाप्रकारकेशस्त्रों | से युद्ध करने को उद्यमी भर अनेक प्रकारशस्रों से घनीवेर युद्ध भया दोनों तरफके अनेक योधा मुवे नल
ने उछल कर हस्त को हता और नीलने प्रहस्त को हता जवयह दोनों पड़े तब राक्षसोंकी सेना परांमुख | भई गौतमस्वामी राजाश्रेणिक से कहे हैं हे मगधाधिपति सेनाके लोक सेनापतिकोजबलग देखें तब लग
ही ठहरें और सेनापति के नाश भए सेना विखरजाय जैसे मालके टूटे अरहट की घडी विखर जाय और सिर विनाशरीर भी न रहे यद्यपि पुण्याधिकारी बडेराजा सब बातमें पूर्ण हैं तथापि विनाप्रधान कार्यकी सिद्धि नहीं प्रधान पुरुषोंकासंबंध कर मनवांछित कार्यकी सिद्धि होयहैं और प्रधान पुरुषों के संबंध विना मंदता को भने हैं जैसे राहु के योगसे सूर्यको प्राचादित भए किरणोंकासमूह मन्दहोय है । इतिअठावन पर्वपूर्णम! ___अयानतर राजाणिक गौतम स्वामीने पूछतामया हे प्रभो हस्त प्रहसत जैसे सामंत महा विद्या में प्रवीण थे बडामआश्चर्य है नल नील ने कैसे मारे इनके पूर्वभव काविरोधहै अकइसही भव कातक गण धर देव कहते भए हे राजन कर्मोंसे बंधे जीवों कीनाना गति है पूर्व कर्मके प्रभाव से जीवों की यही
For Private and Personal Use Only