Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
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पन माह स्थाणु मेव बाहन र विभाग प्रचंडालि इत्यादि लानानकों के वाहनोंपर चढे युद्धकी श्रद्धाको धेरै पुराण
हनुमानके संगनिकसे और बिनीषण रावणका भाई रत्नप्रभ नामा विमानपर चढा श्रीगमका पक्षी अति शोभताभया और युधावर्त बसंत कांत कौमुदि नन्दन भरि कोलाहल हेड भावित साधु वत्सल अर्धचन्द्र जिन प्रेमसागर सागर उरंग मनोग्य जिन जिनपति इत्यादि योधा नानावर्ण के विमानोंपर चढ़े महाप्रबल सन्नाह कहिये बखतर पहिरे युद्धको निकसे रामचन्द्र लक्ष्मण सुग्रीव हनुमान ये हंस बिमान चढ़े जिनके आकाश विषे शोभते भए रामके सुभट महामेघमाला मारिखे नानाप्रकारके वाहनचढे लंका के मुभटोंसे लड़नेको उद्यमी भए. प्रलयकालके मेघ समान भयंकर शब्द शंख आदिवादित्रोंके शब्द होतेभए जमा भेरी मृदंग कंपाल धुधुमंदय आमलातके हकार हुँदुकान ऊरदरहमगुंज काहल बीणा इत्यादि अनेक बाजे बाजते भए और सिंहोंके तथाहाथियों के घोड़ोंके भैंसोंके रथोंके ऊंटों मृगों पक्षियों के शब्द होतेभए तिनसे दशादिशा व्याप्तभई जब राम रावणकी सेनाका संघर्भया तब लॉक समस्त जीवन के संदेहको प्राप्तभर पृथ्वी कंपायमानभई पहाड़ कप योधा गर्वके भरे निगर्वसे निकसे दोनों कटक अतिप्रवल लाखनमें न पावें इन दोनों सेनामें युद्ध होनेलगासामान्य चक्र करोत कुठार सेल खडग गदा शाक्त बाण भिडिपान इत्यादि अनेक अायुवोंसे परस्पर युद्ध होताभया योधा हेलाकर योधावोंको बुलावतभए कैसे हैं योगा शास्त्रोंसे शोभित हैं भुजा जिनकी और युद्धकाहै सर्वसाज जिनके
ऐसे योधावोंगर पडतेभए आवेगसे दौडे परसेनामें प्रवेश करतेभए परस्पर अतियुद्ध भया लंका के । योधाोंने बानरबंशी योधा दबाये जैसे सिंह गोंको दबावें फिर बानरवंशियोंके प्रबल योधाअपने
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