Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
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नगरा कुंभपिता रक्षतामाता अश्वनी नक्षत्र अशोकवृक्ष सम्मेदशिखर मल्लिनाथ हे राजा तुझे मन शोक ॥३४॥ रहितकरें १६ कुशाग्रनगर सुमित्रपिता पद्मावतीमाता श्रवणनक्षत्र चम्पकवृक्ष सम्मेदशिखर मुनिसुव्रतनाथ
पद्म पुराख
सदा तेर मन विषे बसें २० मिथिलापुरी नगरी विजयपिता वप्रा माता अश्वनी नक्षत्र मौलश्रीवृक्ष सम्मेद शिखर नमिनाथ तुझे धर्मका समागम करें २१ सौरीपुर नगर समुद्रविजय पिता शिवादेवीमाता चित्रानक्षत्र मेषशृंग वृक्ष गिरिनार पर्वत नेमिनाथ तुझे शिवसुखदाता होवें २२ कांशीपुरी नगरी अश्मसेनपिता वामा मातविशाखानक्षत्रघबलवृक्ष सम्मेदशिखर पार्श्वनाथतेरे मनको धीर्य देव २३ कुण्डलपुरनगर सिद्धार्थ पिता प्रियकारिणी माता हस्तनक्षत्र शालवृक्ष पावांपुर महावीरतुके परम मंगलकरें श्रापसमानकरें २४ ऋषभदेव का निर्वाण कल्याण कैलाश १ बासपूज्यका चंपापुर २: नेमिनाथ गिरिनार३ महावीरका पावापुर ४ भौरोंका सम्मेदशिखरहैं शांतिकुंथु अर ये तीनततीर्थंकर चक्रवर्तीभीभए और कामदेवभीभए राज्यछोड़ वैराग्यलिया और वासू पूज्य मल्लिनाथ नेमिनाथ पार्श्वनाथ महाबीर ये पांच तीर्थंकर कुमार अवस्थामें वैरागी भए राज भी किया और विहाह भी न किया अन्य तीर्थंकर महामंडलीक राजा भए राजछोड़ वैराग्य लिया और चन्द्रप्रभ पुष्पदन्त ये दोयश्वेत वर्ण भए और श्रीसुपार्श्वनाथ प्रियंगुपञ्जरी के रंग समान हरित वर्ण भए और पार्श्वनाथ का वर्ण कच्ची शालि समान हरितभया पद्मप्रभका वर्ण कमल समान आरक्त और वासपूज्य का वर्ण केसू के फूलसमानञ्चारक्त और मुनिसुव्रतनाथका वर्ण अञ्जनीगिरिसमान श्याम और नेमिनाथका वर्णं मोरके कंठसमान श्याम और सोलह तीर्थंकरोंके ताता सोनेके समान वर्णभया है ये सबही तीर्थंकर इन्द्र घरन्द्र चक्रवर्त्यादिकों से पूजने योग्य और स्तुति करने योग्य भएहें और सबहीका सुमेरुके शिखर पांडुकशिला
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