________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चम्पापुर (बिहार प्रदेश)
___यह अत्यन्त प्राचीन क्षेत्र है। बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य की यह निर्वाणभूमि है। आचार्य यतिवृषभ की 'तिलोयपण्णत्ति' में उल्लेख है कि भगवान वासुपूज्य फाल्गुन कृष्ण पंचमी के दिन अपराह्न काल में अश्विनी नक्षत्र में यहाँ से सिद्धभूमि को प्राप्त हुए। उनके साथ 601 मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया :
फग्गुणबहुले पंचमिअवरण्हे अस्सिणीसु चंपाए।
रूपाहियछसयजुदो सिद्धिगदो वासुपुज्जजिणो॥ वासुपूज्य की निर्वाणस्थली के रूप में मन्दारगिरि का भी उल्लेख है। कहा जाता है कि अंगदेश की राजधानी चम्पा का क्षेत्र काफी विस्तृत था। सम्भवतः मन्दारगिरि तत्कालीन चम्पा का बाह्य उद्यान रहा होगा। चम्पापुर भारत की प्राचीन ऐतिहासिकसांस्कृतिक नगरियों में से एक है। हरिषेण कथाकोष' में ऐसे अनेक राजाओं एवं उनके जीवन की घटनाओं का उल्लेख मिलता है, जिनका सम्बन्ध चम्पा नगरी से रहा है। इनमें राजा दन्तिवाहन (महावीरकाल में), हरिषेण चक्रवर्ती, धर्मघोष श्रेष्ठी, राजा करकंडु प्रमुख हैं। भगवान महावीर, गणधर सुधर्मा स्वामी यहाँ पधारे थे। चम्पा पर अधिकार कर अजातशत्रु ने इसे खूब समृद्ध किया।
यह क्षेत्र भागलपुर शहर से लगभग पाँच किलोमीटर दूर है। यहाँ एक प्राचीन दिगम्बर मन्दिर है। इसके पूर्व और दक्षिण में स्तूपनुमा और मीनारनुमा लगभग पचास फुट ऊँचे प्राचीन मन्दिर हैं। मुख्य मन्दिर में भगवान वासुपूज्य की साढ़े तीन फुट ऊँची मूंगा वर्ण की प्रतिमा प्रतिष्ठित है, और भी अनेक वेदियों में पाषाण एवं धातु की मूर्तियाँ विराजमान हैं। क्षेत्र पर और भी कई मन्दिर हैं।
गिरनार
गिरनार गुजरात में सुप्रसिद्ध निर्वाणक्षेत्र है। यहाँ बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ ने दीक्षा लेकर यहाँ तपश्चरण किया। छप्पन दिन पश्चात् ही उन्हें केवलज्ञान हो गया। पश्चात् यहीं से आषाढकृष्ण अष्टमी के दिन सिद्ध अवस्था प्राप्त की। उनके समय में इसी पर्वत से 536 अन्य मुनिराज भी मोक्ष गये। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र से समय-समय पर करोड़ों मुनिराजों ने मुक्ति पायी। 'प्राकृत निर्वाणकांड' में उल्लेख है
णेमिसामी पज्जुण्णो संबुकुमारो तहेव अणिरुद्धो।
बाहत्तर कोडीओ उज्जते सत्तसया वंदे॥ अर्थात् भगवान नेमि के अतिरिक्त प्रद्युम्नकुमार, शम्बुकुमार, अनिरुद्धकुमार आदि बहत्तर करोड़ सात सौ मुनियों ने यहाँ से तपश्चरण करते हुए निर्वाणलाभ किया।
जैनतीर्थ :: 99
For Private And Personal Use Only