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में रहे और उसके बाद सन् 1897 में फिर से आमन्त्रण पर छः महीने के लिए गये। जैनधर्म का अमेरिका वालों को अगला परिचय मिला सन् 1904 से 1905 तक । सागौन की लकड़ी से बनी पालीताना के मन्दिरों की 20 वर्ग फुट आकार और 35 फुट ऊँची प्रतिकृति सेंट लुइस प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने के लिए भेजी गयी थी। प्रदर्शनी के बाद मन्दिर लास वेगास और बाद में लॉस एंजिल्स ले जाया गया था। अब यह लॉस एंजिल्स की जैन सोसाइटी के स्वामित्व में है ।
इसके बाद सन् 1933 में बेरिस्टर चम्पतराय जैन शिकागो में 'वर्ल्ड फेलोशिप ऑफ फेस' (धर्मों के विश्वबन्धुत्व की संस्था) के माध्यम से 'अहिंसा एज द की टू वर्ल्ड पीस' (विश्वशान्ति की कुंजी के रूप में अहिंसा) पर एक भाषण प्रस्तुत किया। उसके करीब एक दशक बाद, अलीगंज उत्तर प्रदेश के डॉ. कामता प्रसाद जैन ने अमेरिका आकर जैनधर्म का प्रचार किया। डॉ. कामता प्रसाद जैन 'वर्ल्ड जैन मिशन' के संस्थापक और 'वाइस ऑफ अहिंसा' के सम्पादक और प्रकाशक थे । उन्होंने अमेरिका और यूरोप में जैनधर्म का प्रचार किया था। अमेरिका में उनके प्रभाव से कुछ जाने-माने लोगों ने जैनधर्म अहिंसा के पथ से प्रभावित होकर उसे अपनाया ।
सन् 1950 के बाद से कुछ जैन लोग अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ने आये और फिर यहीं बस गये । सन् 1965 के बाद अमेरिका ने पेशेवरों और कुशल तकनीशियनों के लिए आप्रवास के स्वागत के द्वार खोल दिये और बहुत से भारतीय यहाँ आये, जिसमें जैन लोग भी शामिल थे। सन् 1967 से 1971 तक अफ्रीका के विभिन्न देशों में खराब परिस्थितियों की वजह से, बहुत से भारतीय मूल के लोग वहाँ से पश्चिम देशों में गये । यह लोग अधिकतर व्यापारी थे, और इस तरह अमेरिका में व्यापारी वर्ग के बहुत से जैन लोग पहुँचे।
गुरुदेव चित्रभानु के सन् 1971 में न्यूयॉर्क में आगमन से फिर अमेरिका में जैनधर्म के साधु-पुरुषों के आने की श्रृंखला आरम्भ हुई। उसी वर्ष श्रवणबेलगोला और मूडबिद्री मठों के श्री चारुकीर्ति भट्टारक, और होम्बुज के श्री देवेन्द्रकीर्ति भट्टारक भी अमेरिका आये। सन् 1975 में सुशील कुमार मुनि अमेरिका आये और उसके बाद से कई साधु और साध्वियों का अमेरिका आना-जाना हुआ।
जैनियों की अमेरिका में तादाद बढ़ी और जैनधर्म के अनुयायी पूजा, त्यौहार और ज्ञानचर्चा के लिए मिलने लगे। सन् 1976 में डॉ. नरेन्द्र सेठी, जो कि कोलम्बिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे, के नेतृत्व में और गुरुदेव चित्रभानु तथा सुशील कुमार मुनि
प्रेरणा से न्यूयॉर्क में अमेरिका का पहला जैन सेंटर स्थापित किया गया। सुशील कुमार मुनि ने अमेरिका में कई जैन केन्द्रों की स्थापना की। जब सुशील कुमार मुनि को आचार्य पद मिल गया, उन्होंने अमेरिका के न्यूजर्सी प्रान्त में सन् 1983 में 'सिद्धाचलम' नाम के एक जैन मठ' की स्थापना की - यह पश्चिमी दुनिया में पहला जैन मठ था ।
अमेरिका में जैनधर्म :: 755
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