Book Title: Jain Dharm Parichay
Author(s): Rushabhprasad Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 765
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमेरिका विश्वद्वीप में जैन जनसंख्या के अच्छे आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। सन् 1987 में 'जैन सेंटर ऑफ बृहत्तर ग्रेटर बोस्टन के जैन केन्द्र की डाइरेक्टरी ऑफ जैन्स रिसाईडिंग इन यू एस ए एंड कनाडा' (संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में रहने वाले जैनियों की निर्देशिका) में यह अनुमान लगाया गया था कि लगभग 3000 जैन परिवार इन देशों में उस समय रह रहे थे। सन् 1992 की जैन डाइरेक्टरी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (उत्तरी अमेरिका के जैनों की निर्देशिका) में 5019 परिवारों की सूची बनी। डॉ. भुवनेन्द्र कुमार ने इस विषय पर शोध करके यह निष्कर्ष निकाला कि इन निर्देशिकाओं में जैन समाज के एक अंश के ही आँकड़े थे और सन् 1992 में उनके अनुमान से अमेरिका और कनाडा में जैनों की संख्या 80,000-1,00,000 के बीच में थी। दूसरे स्रोतों से आजकल भारत के बाहर रहने वाले जैन प्रवासियों में कम-से-कम एक तिहाई (लगभग एक लाख) अमेरिका में रहते हैं। 5 । अमेरिका में लगभग 100 जगहों पर जैन धार्मिक समुदाय अमेरिका में जैन तीर्थ शायद अमेरिका में जैन तीर्थ के बारे में पढ़ कर पाठकों को आश्चर्य होगा। आचार्य सुशील मुनि के द्वारा स्थापित किया गया सिद्धाचलम अब अमेरिका के जैन तीर्थ के नाम से जाना जाता है। सिद्धाचलम शहरों की भीड़-भाड़ से दूर, पहाड़ियों के बीच एक बहुत ही शान्त और मनोहर स्थल पर बनाया गया है। इसका परिसर 120 एकड़ का है, इसमें एक भव्य मन्दिर, दो छोटे मन्दिर, एक सामुदायिक भोजनशाला, पुस्तकालय, मुनियों और साध्वियों के रहने के कक्ष, और यात्रियों के रहने की कई आधुनिक कुटियाएँ हैं। यहाँ पर मन्दिरों में श्वेताम्बर और दिगम्बर पद्धति की प्रतिमाएँ हैं। परिसर में चारों तरफ सुन्दर वन है, एक तरफ एक झील है और काफी खुली जगह भी है।। आचार्य जी के संघ के स्थापित करने के बाद से सिद्धाचलम में अधिकतर मुनि महाराजों का निवास रहता है, और भारत से भी साधु और साध्वियों का प्रायः आनाजाना रहता है। वहाँ पर प्रायः विभिन्न पूजाओं, विधान और शिविरों का आयोजन होता रहता है। आसपास के शहरों की जैन समाज यहाँ पर बसों में भर के सप्ताहान्त और छुट्टी के दिनों में यात्रा के लिए आती है। आसपास के शहरों के जैन परिवार भी भारत से आए हए परिवार जनों को यहाँ लेकर आते हैं। सन् 2011 में सिद्धाचलम के परिसर में शिखरजी की छोटे पैमाने की एक प्रतिकृति बनायी गयी है। शिखरजी की सारी टोंक उसी खाके में बनाई गयी हैं। जबकि भारत के सम्मेद शिखरजी की यात्रा 27 किलोमीटर की है, इस प्रतिकृति शिखरजी की यात्रा 56 कि.मी. की है। चूँकि अमेरिका में रहने वाले जैनों को प्रमुख तीर्थ शिखरजी में आने का सौभाग्य मुश्किल से मिलता है, वह सिद्धाचलम जाकर शिखरजी यात्रा के अनुभव के बारे 756 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only

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