Book Title: Jain Dharm Parichay
Author(s): Rushabhprasad Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 852
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्खण-अणुवयरयण पईउ (सं. 1313)। लाखभदेव-णेमिणाहचरिउ (सं. 1510)। वरदत्त-वैर सामिचरित्र। वज्रसेन सूरि-भरतेश्वर बाहुबली घोर (45 पद्य)-सं. 1235। वादिदेवसूररि-मुनिचन्द्र गुरु स्तुति (25 पद्य) (सं. 1200)। प्रमाणनय तत्त्व लोकालंकार। विजयसेन सूरि-रेवंतगिरि रास (सं. 1287)-(72 पद्य) (खंडकाव्य)। उदयप्रभसूरिसंघपतिचरित, धर्माभ्युदय। वीरप्रभ-चन्द्रप्रभकलश। शालिभद्र-भरतेश्वर बाहुबलिरास (सं. 1241)-203 पद्य, बुद्धिरास, हितशिक्षाप्रबुद्धरास। सिरिमा महत्तरा-जिनपति सूरि बधामणा गीत (सं. 1233) 20 गाथा। सुमतिगणि-नेमिरास-57 पद्य (सं. 1267), गणधर सार्धशतकवृहद्-वृत्ति। सुप्रभाचार्य-वैराग्यसार (77 पद्य) (13वीं शती)। सोमप्रभकुमारपालप्रतिबोध (सं. 1251) । सूक्तिमुक्तावली (सिन्दूर प्रकरण) । सुमतिनाथ चरित्र। ___ शतार्थ काव्य-हरिभद्रसूरि-णेमिनाहचरिउ (सं. 1216)। हरिदेव-मयणपराजय चरिउ (13वीं शती)। अज्ञातकवि-कर्तृक रचनाएँ-गुरुगण षट्पट (सं. 1278)। जिणदत्तसूरिस्तुति (सं. 1211)। 14वीं शती के हिन्दी जैन कवि अभयतिलक गणि-महावीर रास (सं. 1307) 21 पद्य। अमर प्रभसूरि-तीर्थमालस्तवन (सं 1323)-36 पद्य। आनन्दतिलक-आणंदा (14वीं शती)। अम्बदेवसूरि-समरादास (सं 1371)। उदयकरण-कयलवाड पार्श्वस्तोत्र (14वीं शती)। जीरावला पार्श्वनाथ स्तोत्र । फलबर्द्धि पार्श्वनाथ स्तोत्र । उदयधर्म-उवएस माल कहाणय छप्पय (81 छप्पयछन्द) (14वीं शती)। गुणाकरसूरि-श्रावक विधि रास (सं. 1371)। घेल्ह-चउवीस गीत (सं. 1371)। चारित्रगणि-जिनचन्द्र सूरि रेलुआ (9गा) (14वीं शती)। छल्हु-क्षेत्रपाल द्विपदिका (सं. 1425)-(8 गा.)। पहाडिया राग, प्रभातिक नामावलि। ___ जयदेव मुनि-भावना सन्धि प्रकरण (14वीं शती)-6 कडवक। जयधर्म-जिनकुसल सूरि रेलुआ (10 गा.)। धर्मचर्चरी, सालिभद्रसेलुआ, थूलिभद्रवर्णनाबोली। जिनकुशलसूरिचैत्यवन्दना कुलकवृत्ति (14वीं शती)। जिनचन्द्रसूरि चतुःसप्ततिका, फलौधी पार्श्वस्तोत्र, सिद्धक्षेत्र आदि जिन स्तवन और भी अनेक स्तोत्र। जिनपद्मसूरि-थूलिभद्दफागु (27 पद्य)-14वीं शती। श्री शत्रुजय चतुर्विंशति स्तवन। जिनप्रभसूरि-पद्मावती चौपाई (37 पद्य) लगभग 700 संस्कृत स्तवन विविधतीर्थ कल्पप्रदीप। देवचन्द्रसूरि-रावण पार्श्वनाथ विनती (9गा.) (14वीं शती)। धर्मकलश-जिनकुशल सूरिपट्टाभिषेकरास (सं. 1377)। धर्मसूरि-समेदशिखरतीर्थ नमस्कार (14वीं शती)। धारिसिंह-श्रीनेमिनाथ धुल (71 छन्द)। पद्म-नेमिनाथ फागु (सं. 1370) सालीभद्रकक्क, दूहामातृका। पद्रमत्नजिनप्रबोध सूरिवर्णन (10 गा.)। प्रज्ञातिलक-कच्छुलीरास (सं. 1363)। फेरु (ठक्कुर)श्री युगप्रधान चतुष्पदिका (28 गा.)। महेश्वरसूरि-संयममंजरी (35 दोहे) (सं. 1365)। हिन्दी जैन साहित्य :: 843 For Private And Personal Use Only

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