________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रतिमाएँ हैं, और दोनों ही मन्दिरों में इनमें से बारह दिगम्बर और बारह श्वेताम्बर पद्धति की हैं। अमेरिका महाद्वीप में कुछ ही जगहें ऐसी हैं, जहाँ श्वेताम्बर और दिगम्बर मन्दिर अलग हैं। कनाडा के टोरेंटो शहर में अलग-अलग श्वेताम्बर और दिगम्बर मन्दिर हैं। न्यूयॉर्क के दूसरे जैन मन्दिर में जो कि हाइड पार्क में है, सिर्फ श्वेताम्बर प्रतिमाएँ हैं । इसी तरह न्यू जैर्सी के चेरी हिल शहर के जैन मन्दिर में सिर्फ श्वेताम्बर प्रतिमाएँ हैं।
बहुत बड़े शहरों के जैन मन्दिरों में तो रोज दिगम्बर प्रतिमाओं का प्रक्षाल और श्वेताम्बर प्रतिमाओं की चन्दन पूजा होती है, पर ज्यादातर जगहों पर ये क्रियाएँ खाली शनिवार और रविवार को ही हो पाती हैं । स्थानीय जैन समाज की इस मजबूरी को ध्यान में रखते हुए यहाँ के मन्दिरों में प्रतिमाओं की 'अर्द्ध' प्रतिष्ठा ही की गयी है। अमेरिका में जैन त्यौहार
अमेरिका में जहाँ-जहाँ जैन सेंटर हैं, वहाँ ज्यादातर जैन त्यौहारों पर पूजा और समारोह होते हैं। इन सभी जगहों पर महावीर जयन्ती, दिवाली, दशलक्षण और पर्युषण पर्व मनाये जाते हैं । इसके अलावा कुछ और त्यौहार स्थानीय मान्यताओं और दिनों के लिए मनाये जाते हैं। चेन्टिली (वाशिंगटन के निकट) के राजधानी मन्दिर में अगस्त के महीने में जैन प्रतिमा प्रतिष्ठा समारोह और पार्श्वनाथ जयन्ती साथ-साथ मनाई जाती है
और दिसम्बर के महीने में पार्श्वनाथ निर्वाण दिवस। राजधानी मन्दिर के जैन भक्त इंग्लिश कलेंडर से हर नये साल की शुरूआत भी 1 जनवरी को पूजा के साथ करते हैं। अमेरिका के व्यस्त जीवन में वीक डे के दिन पड़े त्यौहारों पर पूजा में कम ही लोग एकत्रित हो पाते हैं। इसलिए फिर उसके बाद के शनिवार के दिन उस त्यौहार को फिर मनाया जाता है, जिसमें ज्यादा लोग सम्मिलित होते हैं। कई जैन सेंटरों में महावीर जयन्ती पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय जैन परिवार के बच्चे और बड़े मिल करके जैन भजन, नृत्य और नाटकों का आयोजन करते हैं। ये नाटक और नृत्य अधिकतर भगवान् महावीर के जीवन की घटनाओं या अन्य पौराणिक कथाओं पर आधारित होते हैं।
अमेरिका में दशलक्षण और पर्युषण पर्व भी बहुत उत्साह से मनाए जाते हैं। बहुत से जैन सेंटरों में, दशलक्षण या पर्दूषण के दौरान पूजा और प्रवचन के लिए विद्वानों और शास्त्रियों को आमन्त्रित किया जाता है। आठ या दस दिनों तक सुबह पूजा और शाम को प्रवचनों का क्रम चलता है। अमेरिका में कुछ ही जैन विद्वान और शास्त्री उपलब्ध हैं, इसलिए कई जगह भारत से विद्वान और शास्त्री आते हैं। उदाहरण के लिए, चेन्टिली के राजधानी मन्दिर में सन् 2009 और 2010 में अजमेर के पं. कुमुदचन्द्र सोनी और सन् 2011 में लखनऊ के डॉ. वृषभप्रसाद जैन ने दशलक्षण पर्व पर स्थानीय जैनियों की धर्म
और ज्ञान वृद्धि का मार्गदर्शन किया। कुछ जगह पर जहाँ जैन समाज थोड़ा बड़ा और समर्थ है, पर्दूषण के आठ दिन और दशलक्षण के दस दिन यानी कि अठारह दिन तक
अमेरिका में जैनधर्म :: 759
For Private And Personal Use Only