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कृत 'काव्यकल्पलता', नरेन्द्रप्रभसूरि (वि. 1282) कृत 'अलंकारमहोदधि', हेमचन्द्र के शिष्यद्वय रामचन्द्र व गुणचन्द्र कृत 'नाट्यदर्पण', अजितसेन (14वीं शती) कृत 'अलंकार चिन्तामणि' तथा अभिनव वाग्भट (14वीं शती) कृत 'काव्यानुशासन' का स्थान सर्वोपरि है। आचार्य भावदेवसूरि (वि. 15वीं) का 'काव्यालंकारसार' नामक ग्रन्थ भी अत्यन्त सरल व सरस ग्रन्थ है ।
काव्यप्रकाश पर माणिक्यचन्द्र की संकेता नामक टीका, काव्यालंकार पर नेमि साधु कृत टीका तथा काव्यकल्पलता पर श्री अमरमुनि की टीका भी विशिष्ट कृतियों में मानी जाती हैं।
व्याकरण सम्बन्धी साहित्य
व्याकरण साहित्य की रचना करने वाले जैन आचार्यों व विद्वानों में 'जैनेन्द्र व्याकरण' के रचयिता आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद (ई. 413-455), जैनेन्द्र व्याकरण के परिवर्धित संस्करण के रूप में रचित 'शब्दार्णव' के रचयिता गुणनन्दी ( 10वीं शती), शब्दार्णव चन्द्रिका के रचयिता सोमदेव (शक सं. 1127), जैनेन्द्र व्याकरण की महावृत्ति के रचयिता अभयनन्दी (ई. 750), शाकटायन व्याकरण तथा अमोघवृत्ति के रचयिता आचार्य पल्यकीर्ति (शक सं. 736-789), 'क्रियारत्नसमुच्चय' के कर्ता श्री गुणरत्न (ई. 1343-1418), 'हैमशब्दानुशासन' के रचयिता श्री हेमचन्द्र ( 12वीं शती) तथा 'कातन्त्ररूपमाला' के रचयिता श्री भावसेन त्रैवेद्य (14वीं शती) के नाम उल्लेखनीय हैं ।
गणित व ज्योतिष शास्त्र
गणित व ज्योतिष शास्त्र पर अनेक जैन आचार्यों व विद्वानों ने अपनी लेखनी उठायी और संस्कृत साहित्य को अनुपम देन दी। महावीराचार्य ( ई. 850) कृत 'गणितसार संग्रह' व ज्योतिष पटल, श्रीधर (दसवीं शती का अन्तिम भाग) कृत 'गणितसार' व 'ज्योतिर्ज्ञानविधि', अज्ञातकर्तृक 'चन्द्रोन्मीलन', जिनसेनसूरि के पुत्र मल्लिषेण (ई. 1043) कृत 'आयसद्भाव, उदयप्रभदेव (ई. 1220) कृत 'आरम्भसिद्धि' (या व्यवहारचर्या), पद्मप्रभसूरि (वि. 1294) कृत 'भुवनदीपक', महेन्द्रसूरि (शक सं. 1292) कृत 'यन्त्रराज', हेमप्रभ ( 14वीं शती का प्रथम चरण) कृत ' त्रैलोक्यप्रकाश' नामक ग्रन्थ अनुपम महत्त्व के हैं । भद्रबाहु के वचनों के आधार पर निर्मित भद्रबाहुसंहिता (6-9वीं शती के मध्य ) भी जैन ज्योतिष साहित्य की विशिष्ट कृति है ।
आधुनिक काल में भी जैनाचार्यों व जैन विद्वानों ने संस्कृत में साहित्य-रचना कर भारतीय वाङ्मय को समृद्ध किया है। आधुनिक समय के आचार्यों में आचार्य ज्ञान सागर जी व आचार्य विद्यासागर की प्रमुख कृतियाँ हैं -जयोदय, दयोदय, सुदर्शनोदय आदि 806 :: जैनधर्म परिचय
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