Book Title: Jain Dharm Parichay
Author(s): Rushabhprasad Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 771
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में पता चला। भट्टारक महाराजों के अमेरिका आने-जाने से दिगम्बर सम्प्रदाय का प्रतिनिधित्व होता है और धर्म का ज्ञानवर्धन भी होता है, परन्तु यहाँ पर बढ़ने वाली पीढ़ी मुनियों के आचरण को पास से नहीं देख पाती है। __ मुनियों के अभाव से अमेरिका में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा में भी कठिनाई होती है। अमेरिका में हुई दिगम्बर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भारत में भट्टारक महाराजों को आमन्त्रित किया जाता है। कुछ जैन समाज वाले भारत में प्राण प्रतिष्ठा कराके प्रतिमाओं को अमेरिका लाते हैं। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क के क्वींस के जैन मन्दिर की श्वेताम्बर प्रतिमाओं की अंजन-शलाका क्रिया सूरत में और दिगम्बर प्रतिमाओं की पंच कल्याणक क्रियाएँ आगरा में की गयीं और उसके बाद ही यह प्रतिमाएँ अमेरिका ले जाई गयीं। ___ अमेरिका वासियों में स्वास्थ्य की बढ़ती हुई जगरूकता की वजह से घर के बाहर शाकाहारी भोजन मिलना आसान होता जा रहा है, फिर भी कई रेस्टोरेन्ट्स में शाकाहारियों को खाली सलाद या उबली हुई सब्जियाँ खाकर ही काम चलाना पड़ता है। बड़े शहरों में पूर्ण शाकाहारी रेस्टोरेन्ट्स मिल जाते हैं, पर वो भी गिने-चुने ही -इनमें से कुछ तो दक्षिण भारतीय भोजन वाले होते हैं और कुछ चीनी शाकाहारी प्रथा के। इनमें से कुछ ही जगह, पहले कहने पर बिना प्याज और लहसुन का खाना बनाने की व्यवस्था है। बिना प्याज और लहसुन खाने वाले को अधिकतर घर में खाना होता है-अपने या अपने जैसे ही और जैनियों के घर में। कुछ जैन परिवारों के द्वारा आयोजित पारिवारिक समारोहों, जैसे कि शादियाँ, जन्मदिन इत्यादि में, अधिकतर बिना प्याज और लहसुन और रात्रिभोजन त्याग वालों के लिए अलग व्यवस्था होती है। व्यावसायिक और प्रोफेसनल लोगों के लिए प्याज-लहसुन त्याग का नियम पालन करना मुश्किल हो जाता है। अमेरिका के जैनधर्म के अनुयायियों को अमेरिका में बसे हुए कुछ जैन विद्वान और अमेरिका के वेगन मूबमेंट के समर्थक दूध और दूध से बने हुए अन्य खाद्य पदार्थ छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, और कुछ जैन लोगों ने ऐसा किया भी है। अमेरिका में दूध देने वाली गायों के साथ बहुत क्रूरता होती है-बड़े-बड़े डेयरी फॉर्म में गाय एक जगह पर खड़ी रहती है, और उनके थनों में दूध निकालने की मशीन लगी रहती है। उनको तरह-तरह के इन्जेक्शन दिये जाते हैं, जिससे वह कम आयु में और अधिक मात्रा में दूध ___अन्त में, अमेरिका में बसे जैन लोग क्या अपना धर्म अच्छे से निभा पा रहे हैं? इस लेख को पढ़ने के बाद पढ़ने वाले शायद अपने-अपने नजरिए से अलग-अलग मत पर पहुँचें। और ऐसे प्रश्न का एक उत्तर शायद है भी नहीं। धर्म के प्रति जागरूक लोग दुनिया के किसी भी कोने में रह कर अपना धर्म अच्छे से निभा सकते हैं और धर्म के प्रति उदासीन लोग सम्मेद शिखरजी में रहकर भी जिन्दगी को व्यर्थ गवाँ सकते हैं। पंडित जी 762 :: जैनधर्म परिचय For Private And Personal Use Only

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