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दीक्षा-क्रिया से केवलज्ञान (भगवत् सत्ता) की क्रिया मन्त्रन्यास एवं गुणारोपण गूढ़ मन्त्रों द्वारा मुनिराज द्वारा की जाती है, जिसमें श्रावकों का प्रवेश भी निषिद्ध होता है। बिम्ब पर जैसे-जैसे मन्त्रारोपण एवं गुणारोपण होता है। बिम्ब में ऊर्जा घनीभूत होने लगती है, बिम्ब के आभामण्डल का विस्तार होने लगता है।
बिना मन्त्र, तन्त्र एवं यन्त्र के बिम्ब-प्रतिष्ठा सम्भव नहीं है, इनके द्वारा ही बिम्ब में गुणारोपण से पूज्यता आती है, ऊर्जा की सघनता से बिम्ब के सामने श्रद्धा एवं समर्पण की भावनापूर्वक की गयी ध्यान एवं भक्ति सांसारिक दु:खों से छुटकारा दिलाने में सक्षम होती है।
दीक्षा एवं केवलज्ञान क्रिया में बिम्ब के सर्वांग पर किये गए अंकन्यास एवं मन्त्रन्यास का ही प्रभाव है, जो जिनबिम्ब के अभिषेक का जल (गन्धोदक) चमत्कारी हो जाता है, जिससे कुष्ठ जैसे रोगों का भी शमन हो जाता है।
इस प्रकार मान्त्रिक एवं तान्त्रिक क्रियाएँ जिनबिम्ब प्रतिष्ठा का महत्त्वपूर्ण अंग हैं।
प्रतिष्ठा विधि में आवश्यक मन्त्र, यन्त्र, भक्ति एवं मण्डल प्रतिष्ठा में उपयोगी यन्त्रों की सूची
1.विनायक यन्त्र 2.सिद्ध यन्त्र 3.जलमण्डल यन्त्र 4.अचल यन्त्र 5.नवदेव यन्त्र 6.अग्निमण्डल यन्त्र 7.मातृका यन्त्र 8.सुरेन्द्र यन्त्र 9.वर्धमान यन्त्र 10.बोधि समाधि यन्त्र 11.नयनोन्मीलन यन्त्र 12.मोक्षमार्ग यन्त्र 13.निर्वाण सम्पत्तिकर यन्त्र 14.आकाश मण्डल यन्त्र
प्रतिष्ठा में उपयोगी मण्डलों की सूची
1.पंचपरमेष्ठी मण्डल 2.नवदेव मण्डल
350 :: जैनधर्म परिचय
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