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मंजिल वाली ईमारत खड़ी की गयी। ____ 1998 में इस इमारत का पुनर्निर्माण किया गया। सिंगापोर में बढ़ती हुई जैन आबादी को नजर में रखते हुए इसे विशाल तथा आधुनिक रूप दिया गया।
सन् 2006 में सिंगापोरे जैन सोसाइटी, इंटर रेलिगिअस ओर्गनाइजेशन ऑफ सिंगापोर की दसवीं सदस्य बन गयी। सभी धर्मों के प्रति आदरभाव, ये ही 'इरो' का ध्येय है। __2007-2008 तक सिंगापोर में जैन परिवारों की संख्या बहुत बढ़ गयी थी। अनेक देरावासी परिवार भी सिंगापोर में स्थायी हो गये थे। देरासरजी का निर्माण और बढ़ती आबादी दोनों समस्याओं को हल करना था। उन्नतिशील नयी पीढ़ी ने स्थानक में ही देरासरजी के निर्माण का बीड़ा उठाया। __2009 की साल में यह काम पूर्ण हुआ। नयी इमारत समय की आवश्यकता के अनुसार भव्य तथा आधुनिक बनाई गयी । दूसरी मंजिल पर भगवान् महावीर की मूर्ति की स्थापना हुई। सिंगापोर जैन सोसाइटी महिला संघ
जब समाज का पुरुषवर्ग सोसाइटी की इमारत के निर्माण में लगा था, तब समाज की महिलाओं ने भी अपनी गतिविधियाँ आरम्भ कर दी थीं। समाज की कुछ महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाते हुए वे एक दूसरे से जुड़ी रही। महिला समाज के सदस्य बड़े प्यार और दुलार के साथ समाज के हर कार्य को निभाती हैं। हर साल की दोनों अयम्बिल ओली पर रसोई का पूरा काम ये ही सँभालती हैं। स्वामी वात्सल्य के भोज पर लगभग 800 लोगों का खाना बनता है । शुद्ध और स्वादिष्ट भोजन सिंगापोर जैन सोसाइटी की एक पहचान बन चुका है। पर्युषण पर्व के बाद, व्रती-तपस्वियों के लिए खास प्रकार का भोज बड़ी ध्यानपूर्वक एवं आदर के साथ बनाया जाता है। ये ही महिला सदस्य अवसर आने पर समाज के लिए पूँजी इकट्ठी करने में भी पुरुष वर्ग से पीछे नहीं हटती।
1997 की साल में युवा महिलाओं का अलग दल बनाया गया। नयी पीढ़ी की महिलाएँ अलग तरीके से समाज की सेवा करना चाहती थीं। उन्होंने अपने समाज के बुजुर्गों के आदर-सम्मान और मनोरंजन के लिए हर साल कुछ कार्यक्रम करने की ठान ली और तब से हर साल बड़े जोश और आनन्द से विविध कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। बुजुर्गों ने भी धीरे-धीरे समाज चलाने की जिम्मेदारी इन काबिल कन्धों पर डालने की शुरुआत कर दी।
सिंगापोर जैन समाज काफी प्रगतिशील है। सन् 2006, में पहली बार महिला संघ से दो महिलाओं को समिति की सदस्य होने का निमन्त्रण दिया गया। सभी धर्म-क्रिया
और कार्यक्रमों के आयोजन में अब अधिक सुविधा होने लगी। सिंगापोर जैन युवा संघ
जैन युवा संघ हर साल कुछ ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसके अन्तर्गत 750 :: जैनधर्म परिचय
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