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अर्बुद
न्यर्बुद
खर्व
महाखर्व
पद्म
महापद्म
छोणी
महाछोणी
शंख
महाशंख
क्षित्या
महाक्षित्या
क्षोभ
महाक्षोभ
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सम्पूर्ण जैन वाङ्मय को विषयानुसार विभाजन के क्रम में 4 अनुयोगों में विभाजित किया जाता है 25
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498 :: जैनधर्म परिचय
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1. प्रथमानुयोग
2. करणानुयोग
3. चरणानुयोग 4. द्रव्यानुयोग
गणित का विषय प्रमुखतः करणानुयोग में पाया जाता है, किन्तु शेष 3 अनुयोगों में भी प्रसंगवश यत्र-तत्र गणितीय विषय आये हैं । श्वेताम्बर - परम्परा के अनुयोगविभाजन में गणितानुयोग एक स्वतन्त्र अनुयोग है । अन्य तीन अनुयोग हैं- धर्मकथानुयोग, -करणानुयोग एवं द्रव्यानुयोग ।
चरण
तिलोयपण्णत्ती, तिलोयसार आदि करणानुयोग के ग्रन्थों में कालमान, क्षेत्रमान एवं द्रव्यमान की अत्यन्त विस्तृत सूचियाँ दी गयी हैं । इन सूचियों में यत्र-तत्र किंचित् मतभेद भी हैं, तथापि ये सूचियाँ जैनाचार्यों की सूक्ष्म दृष्टि एवं विशाल संख्याओं में अभिरुचि व्यक्त करती हैं।
कालमान-करणानुयोग के प्राचीन ग्रन्थ तिलोयपण्णत्ती (त्रिलोक प्रज्ञप्ति) में आचार्य यतिवृषभ ने निम्न सूची दी है, जो थोड़े-बहुत परिवर्तनों सहित जैन परम्परा के अन्य ग्रन्थों जंबूद्वीव- पणत्ति - संगहो, तिलोयसार, हरिवंशपुराण, राजवार्तिक आदि में भी मिलती है, किन्तु जैनेतरर- परम्परा में उपलब्ध नहीं है। जैन परम्परानुसार काल की
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