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थॉमस दिक्स एक ऐसे छायाचित्रकार हैं, जिन्होंने लोथर क्लेयरिन्ट के साथ माउन्ट आबू व रणकपुर के मन्दिर व जैनधर्म नामक पुस्तक लिखी है और अंग्रेजी व जर्मनभाषा में प्रकाशित की है। डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन बर्लिन में रहते हैं। योग विद्यालय चलाते हैं और ध्यान का प्रारम्भ भी णमोकार मन्त्र के सस्वर उच्चारण से करते हैं तथा इनके स्कूल में प्रतिवर्ष महावीर जयन्ती मनाई जाती है। जर्मनी की राजधानी में ट्राउडिल पाण्ड्या , जो गुरुदेव चित्रभानु के शिष्य हैं। बर्लिन में एक योग स्कूल चलाते हैं तथा इसमें जैन ध्यान पर विशेष बल दिया जाता है। कार्ला एवं क्रिश्चियन जीर्ड्स आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के अनुकर्ता हैं तथा जैनिज्म के सन्देश का प्रचार-प्रसार करते हैं तथा ये दो वेवसाईट्स भी चलाते हैं, जिनके पते निम्नानुसार हैं-1. www.herenow4u.de. और 2. www.jain-germany.de. ____ हमने ऊपर यह उल्लेख किया ही है कि भारतवर्ष से बहुत कम जैन ही जर्मनी में स्थानान्तरित हुए हैं। लगभग 12 व्यापारी परिवार ऐसे हैं, जो ईदर ओवरस्टेन में रहते हैं, जो मूल्यवान पत्थरों के व्यावसायिक केन्द्र के रूप में जाना जाता है। ये ऐसे परिवार हैं, जो लम्बे समय से जर्मन में रहते हुए भी जर्मन भाषा उस तरह नहीं बोल पाते हैं, जिस तरह बोली जानी चाहिए। इसके अलावा आई. टी. प्रोफेशनल्स व भारतीय छात्र भी जर्मनी में आते-जाते रहते हैं तथा इनका भी रुझान केवल जैन मन्दिर की जानकारी तक ही सीमित है। कुछ भारतीय डॉक्टर्स व शैक्षिक लोगों ने जर्मनों से विवाह किये हैं तथा उनके पारिवारिक नाम भी जैन परम्परानुरूप हैं तथा वे जैनधर्म का परिपालन लगभग नहीं ही करते हैं। 2008 में प्राकृत ज्ञानभारती अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रसिद्ध जर्मन विद्वान प्रो. डॉ. विलियम बोले और प्रो. डॉ. क्लाउस ब्रून को 25 मई, 2008 को दिये गये। इन्होंने प्राकृत और जैनिज्म पर अनेक पुस्तकें लिखीं हैं तथा बहुत ख्याति अर्जित की है। इस कार्यक्रम में भारतीय विद्या के विशेषज्ञ प्रो. डॉ. वंशीधर भट्ट, डॉ. पीटर फ्लूगल, प्रो. डॉ. ब्रुकर आदि ने भाग लिया था। ट्युविगन में जन्मे पेट्रिक एफ. क्रुगर 'जैन अध्ययन केन्द्र' के अध्यक्ष हैं, जो फ्री यूनीवर्सिटी वर्लिन में है। इन्होंने स्कॉटलैंड, स्वीडन व नार्दन आयरलैंड में अनेक वर्षों तक ज्ञानाराधना की है। फ्री यूनीवर्सिटी, वर्लिन में 'जैन अध्ययन केन्द्र' की स्थापना इतिहास एवं सांस्कृतिक केन्द्र के अन्तर्गत 2011 में हुई।
पेट्रिक क्रुगर यद्यपि जैन कला इतिहास एवं धर्म में समर्पित हैं, पर इनका वृहत्तर उद्देश्य यह भी है कि जैनिज्म और अहिंसा का प्रचार आम जनता के बीच में होना चाहिए और इसी दृष्टि से ये सन् 2010 में एक जैन वेव पोर्टल की टीम के सदस्य भी बने तथा जैन ऑन लाइन में पत्रिका भी प्रकाशित करते हैं। फ्रांस में जैनधर्म
पीयरे एमिल एक फ्रांस के अवकाश प्राप्त पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर हैं। जब ये 22 वर्ष के थे, तब उन्हें पहली बार जैनधर्म की जानकारी हुई। 1993 में अवकाश प्राप्त करने
यूरोप में जैनधर्म :: 747
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