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नरकपटल- पटल, पत्थर के स्तर तह के समान होते हैं। इन्हें पाथड़े या मंजिल भी कहते हैं। ये एक के ऊपर एक रूप से अवस्थित हैं। पहले नरक में 13, दूसरे में 11, तीसरे में 9, चौथे में 7, पाँचवें में 5, छठे में 3 और सातवें नरक में केवल एक पटल है। सातों नरकों में कुल 49 पटल हैं।”
नरकबिल— नारकियों के निवास 'बिल' कहलाते हैं। सातों नरकों के 49 पटलों में कुल 84 लाख नरकबिल हैं। प्रत्येक पटल में इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक के भेद से 3 प्रकार के बिल हैं। पटल के बीचों-बीच का बिल 'इन्द्रकबिल' कहलाता है तथा चारों दिशाओं और विदिशाओं के पंक्तिरूप में स्थित बिल ' श्रेणीबद्धबिल' कहे हैं। श्रेणीबद्ध बिलों के बीच-बीच में जहाँ-तहाँ बिखरे हुए बिलों को 'प्रकीर्णकबिल' कहते हैं। सभी नरकों में कुल 49 इन्द्रक, 9604 श्रेणीबद्ध तथा 8390347 प्रकीर्णक बिल हैं । इन सब का योग 84 लाख है 120
516 :: जैनधर्म परिचय