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ग्रहों के आधार पर व्यक्ति के बन्ध, उदय और सत्त्व की कर्मप्रवृत्तियों का विवेचन भी किया जा सकता है ।
अतः ज्योतिषशास्त्र में अव्यभिचारी सूचक निमित्त का विवेचन किया गया है। इन्हीं सूचक निमित्तों के संहिताग्रन्थों में आठ भेद किये गये हैं, वे हैं
व्यंजन, अंग, स्वर, भौम, छिन्न, अन्तरिक्ष, लक्षण एवं स्वप्न ।
व्यंजननिमित्त ज्ञान - तिल, मस्सा, चट्टा आदि को देखकर शुभाशुभ का निरूपण करना व्यंजन - निमित्त - ज्ञान है। जैसे साधारणतः पुरुष के शरीर में दाहिनी ओर तिल, मस्सा, चट्टा शुभ समझा जाता है और नारी के शरीर में इन्हीं व्यंजनों का बायीं ओर होना शुभ है, दाहिने पैर में तिल होने से व्यक्ति ज्ञानी होता है, आदि ।
अंगनिमित्तज्ञान — हाथ, पाँव, ललाट, मस्तक और वक्षःस्थल आदि शरीर के अंगों को देखकर शुभाशुभ फल का निरूपण करना अंग-निमित्त है। जैस- नासिका, नेत्र, दन्त, ललाट, मस्तक और वक्षःस्थल ये छः अवयव उन्नत होने से मनुष्य सुलक्षणयुक्त होता है, जिस व्यक्ति की जिह्वा इतनी लम्बी हो, जो नाक का अग्रभाग स्पर्श कर ले, तो वह योगी व मुमुक्षु होता है ।
मस्तक पर विचार करते समय बताया गया है कि मस्तक के सम्बन्ध में चार बातें विचारणीय हैं - बनावट, नसजाल, विस्तार और आभा । बनावट से विचार, विद्या और धार्मिकता के माप का पता चलता है।
मस्तक के नसाल से विद्या-विचार और प्रतिभा का परिज्ञान होता है। विचारशील, व्यक्तियों के माथे पर सिकुड़न और ग्रन्थियाँ देखी जाती हैं। रेखाविहीन चिकना - मस्तक प्रमाद, अज्ञान और लापरवाही का सूचक है।
विस्तार में मस्तक की लम्बाई, चौड़ाई और गहराई सम्मलित है ।
मस्तक की आभा का वही महत्त्व है, जो किसी सुन्दर बने मकान में रँगाई, पुताई का होता है।
ओठों पर विचार करते समय कहा गया है कि मोटे ओठों वाला व्यक्ति मूर्ख, दुराग्रही और दुराचारी होता है। छोटे मुँह में अधिक पतले ओठ कंजूसी, दरिद्रता और चिन्ता के सूचक हैं। सरस, सुन्दर और आभा - युक्त पतले ओठ होने पर व्यक्ति विद्वान, धनी, सुखी और प्रिय होता है
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अंगनिमित्तज्ञान में शरीर के समस्त अंगों की बनावट, रूप-रंग तथा उनके स्पर्श का भी विवेचन किया गया है।
स्वरनिमित्तज्ञान — चेतन प्राणियों के और अचेतन वस्तुओं के शब्द सुनकर शुभाशुभ का निरूपण करना स्वरनिमित्त कहलाता है। पोदकी का 'चिलिचिलि' इस प्रकार का शब्द सुनाई पड़े, तो लाभ की सूचना समझनी चाहिए। 'चिकुचिकु' इस प्रकार का शब्द
ज्योतिष : स्वरूप और विकास :: 659
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