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साइक्लोजीकल व फिजियोलॉजिकल प्रक्रियाओं को समझ जाए।
सभी दिशाओं व कोणों में विशेष लक्षण व मनोवैज्ञानिक भाव पाये गये।
उत्तर
वायु-प्रवाह
चुम्बकीय व ठंडा
सकारात्मक ऊर्जा व एकाग्रता से परिपूर्ण
पश्चिम
आरामदायक क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा | सकारात्मक ऊर्जा व
| एकाग्रता से परिपूर्ण | पूर्व गुरुत्वाकर्षण बल सौर ऊर्जा
का स्रोत
का
बल
स्थिर आरामदायक
व शान्ति क्षेत्र |
सूर्य की जलती हुई | अल्ट्रावॉयलेट किरणें गर्मी व तनाव
दक्षिण
आराधना कक्ष-"आराधना कक्ष अध्यात्म व व्यवहार का वह बेजोड़ संगम है, जो हमें शान्ति के सरोवर में डुबकी लगाने की कला सिखाता है।" धर्म आराधना हेतु मन की एकाग्रता परम आवश्यक है। अतएव जहाँ हम घर में प्रत्येक कार्य हेतु विशेष स्थल नियक्त करते हैं, वहीं ईश्वर-भक्ति -जैसे पवित्र कार्य हेतु शांत, स्वच्छ, ऊर्जावान क्षेत्र का चुनाव भी अति-महत्त्वपूर्ण है। आराधना हेतु ईशान दिशा सर्वोत्तम है। यह देवस्थान माना जाता है। साथ ही पृथ्वी का झुकाव ईशान की ओर रहता है, जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र विशेष ऊर्जा एकत्र करता है, जो मन की एकाग्रता के लिए सहयोगी होती है। अतएव ईशान कोण पर की गई भक्ति तथा स्वाध्याय मन को सुख शान्ति प्रदान कराने वाला होता है। इस कक्ष को ऊर्जावान बनाने हेतु ईशान कोण पर पूर्ण भरा हुआ मंगल-कलश विधि-विधान पूर्वक स्थापित करें एवं अपने इष्टदेव व गुरु की फोटो उत्तर व पूर्वाभिमुख लगाएँ एवं स्वयं आराधना-जाप करते समय मुँह उत्तर एवं पूर्व दिशा में रखें। कक्ष का रंग संयोजन पीला, नारंगी, सफेद रखें, क्योंकि ये रंग गुरु-ग्रह के हैं। कक्ष के फ्लोर पर मार्बल लगा सकते हैं। कक्ष की अलमारी उत्तर-पूर्वाभिमुख हो, लेकिन ध्यान रखें कि उसे कभी खुली न छोड़ें। कक्ष का द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखें। जिस क्षेत्र पर साधना, मन्त्र, जाप, भक्ति लम्बे समय तक की जाती है, वहाँ एक विशेष ऊर्जा-पुंज निर्मित होता है, जिससे घर को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
734 :: जैनधर्म परिचय
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