________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
84 लाख नलिनांग = 1 नलिन 84 लाख उत्पलांग = 1 उत्पल 84 नलिन = 1 कमलांग 84 लाख उत्पल = 1 पद्मांग 84 लाख कमलांग = 1 कमल 84 लाख पद्मांग - 1 पद्म 84 कमल
= 1 त्रुटितांग 84 लाख पद्म = 1 नलिनांग 84 लाख त्रुटितांग = 1 त्रुटित 84 लाख नलिनांग = 1 नलिन 84 त्रुटित = 1 अटटांग 84 लाख नलिन = 1 अर्थनिपुरांग 84 लाख अट्टांग = 1 अट्ट । 84 लाख अर्थनिपुरांग = 1 अर्थनिपुर 84 अट्ट
= 1 अममांग 84 लाख अर्थनिपुर - 1 अयुतांग 84 लाख अममांग = 1 अमम 84 लाख अयुतांग = 1 अयुत 84 अमम
= 1 हाहांग 84 लाख अयुत = 1 प्रयुतांग 84 लाख हाहांग = 1 हाहा 84 लाख प्रयुतांग = 1 प्रयुत 84 हाहा
= 1 हूहू अंग 84 लाख प्रयुत = 1 नयुतांग 84 लाख हूहू अंग = 1 हूहू 84 लाख नुयतांग = 1 नयुत 84 हूहू ___ = 1 लतांग 84 लाख नयुत = 1चूलिकांग 84 लाख लतांग = 1 लता 84 लाख चूलिकांग = 1 चूलिका 84 लता = 1 महालतांग 84 लाख चूलिका=1 शीर्ष प्रहेलिकांग 84 लाख महालतांग = 1 महालता 84 लाख शीर्ष प्रहेलिकांग=1 प्रहेलिका 84 लाख महालता = 1 श्रीकल्प 84 लाख श्रीकल्प . = 1 हस्तप्रहेलित 84 लाख हस्तप्रहेलित = 1 अचलात्म
राशि अचलात्म बहुत बड़ी संख्या है। इसका मान (84)31 x 1090 वर्ष है। किंचित् भिन्न रूप में श्वेताम्बर परम्परा में भी कालमान की सूची मिलती है, जिसमें उत्कृष्ट संख्यात शीर्ष प्रहेलिका है28 एवं इसका मान और भी बड़ा (8400000)28 = 8428 x 10140 है। इस बारे में श्वेताम्बर-परम्परा की बल्लभी-वाचना एवं माथुरीवाचना के ग्रन्थों में भी मतभेद है।
इसी प्रकार क्षेत्र की माप हेतु द्रव्य के अविभागी अंश को परमाणु कहा है। जैन परम्परा का परमाणु आधुनिक परमाणु से भिन्न बहुत सूक्ष्म है।
अनन्तानन्त परमाणु = 1 अवसन्नासन्न 8 अवसन्नासन्न = 1 सन्नासन्न 8 सन्नासन्न = 1 त्रुटरेणु (व्यवहाराणु) 8 त्रुटरेणु
= 1 त्रसरेणु 8 त्रसरेणु = 1 रथरेणु 8 रथरेणु
= 1 उत्तम भोगभूमि का बालाग्र
500 :: जैनधर्म परिचय
For Private And Personal Use Only