________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
:
पाँच इन्द्रियों वाले असैनी जीव के नौ प्राण होते हैं उपरिलिखित सभी एवं श्रवण शक्ति । पाँच इन्द्रियों वाले सैनी जीव के दस प्राण होते हैं : उपरिलिखित सभी एवं मानसिक शक्ति ।
जैन आचार संहिता
जैन आचार संहिता एक अहिंसक के लिए कुछ नियम तय करती है
-
1. मैं किसी भी जीव की जानबूझ कर हत्या नहीं करूँगा और न ही आत्महत्या करूँगा । 2. किसी कर्मचारी या कार्मिक से निश्चित समय से अधिक कार्य नहीं लूँगा और न ही पशुओं पर अधिक बोझ लादूँगा ।
3.
मैं भ्रामक विचारों का प्रचार नहीं करूँगा और न ही किसी को झूठा फसाऊँगा । 4. मैं किसी भी ऐसी संस्था का सदस्य नहीं बनूँगा, जो हिंसा और विध्वंस में विश्वास करती हो और न ही इन गतिविधियों में भाग लूँगा ।
5. मैं पशुओं पर प्रयोग की गई वस्तुओं का उपयोग नहीं करूँगा ।
6. मैं सब को समभाव से देखूँगा और सभी धर्मों के प्रति सहनशीलता बनाए रखूँगा । 7. मैं शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक अहिंसा का पालन करूँगा ।
इस आचार-संहिता का पालन करते हुए व्यक्ति आत्म-नियन्त्रण, मित्र भाव और करुणा को प्राप्त करता है तथा लोभ से छुटकारा पा लेता है । यह प्रत्येक व्यक्ति की मुक्ति के लिए आवश्यक है । यह शान्ति और सामंजस्य के लिए व्यावहारिक धर्म है।
एक अहिंसक के गुण
स्नेह, हर्ष, शान्ति, सहनशीलता, दया, औचित्य, विश्वसनीयता, सज्जनता और आत्मनियन्त्रण एक अहिंसक के आवश्यक गुण हैं।
अहिंसा का पालन करने के लाभ
-
अहिंसा का पालन करने से इनकी प्राप्ति होती है- सभी जीवधारियों के प्रति आदर (अस्तित्व का जनतन्त्र)
- दूसरों के विचारों का सम्मान (विचार एवं धारणा का जनतन्त्र)
- अनासक्ति (घृणा और मोह का परित्याग )
- स्वामित्व की परिसीमा (स्वामित्व का जनतन्त्र)
एक-दूसरे पर निर्भरता और सभी का सम्मान (कोई भी अकेला जीवित नहीं रह सकता, क्योंकि हम एक-दूसरे से बँधे हैं ।
कर्मों के अन्तः प्रवाह में कमी।
अहिंसा -- एक संक्षिप्त प्रवेशिका :: 395
For Private And Personal Use Only