________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पंचकल्याणक कब और कितने
जैन शास्त्रों के अनुसार काल परिवर्तन उत्सर्पिणी एवं अवसर्पिणी रूप होता है, जिसके छह भाग होते हैं। अवसर्पिणी के चौथे एवं उत्सर्पिणी के तीसरे काल में कर्मभूमि में भरत एवं ऐरावत क्षेत्र के आर्यखण्ड में क्रमश: 24 तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान एवं मोक्ष (निर्वाण) रूप पंचकल्याणक होते हैं।
विदेह क्षेत्र में काल-परिवर्तन नहीं होने के कारण हमेशा चौथा काल ही रहता है। जिसके कारण केवली एवं श्रुत केवली का सान्निध्य श्रमणों एवं श्रावकों को सदैव मिलता रहता है। इसीलिए वहाँ के आर्यखण्ड में दो, तीन एवं पाँच कल्याणक वाले अन्य तीर्थंकर जीव होते हैं।
जिनबिम्ब-प्रतिष्ठा-विधि
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में उपयोग में आने वाली समस्त सामग्री नवीन एवं उत्कृष्ट होना चाहिए।वेदी, मंडप के निर्माण से लेकर इन्द्र-इन्द्राणियों के वस्त्र भी नवीन होने आवश्यक है।
सकलीकरण __ जिनबिम्ब प्रतिष्ठा का शुभारम्भ संयम-साधना एवं आय के स्रोत के अनुसार पात्रों का चयन करके सर्वप्रथम जिनालय की मूलवेदी के समक्ष प्रतिष्ठा-विधि में सम्मिलित सभी पात्रों का सकलीकरण बाह्य एवं अन्तरंग दो प्रकार से किया जाता है।
बाह्य सकलीकरण में प्राणायाम विधि से कायोत्सर्ग करके भक्तिपाठ करके वस्त्र शुद्धि, अंगशुद्धि, अंगन्यास, अमृतस्नान, रक्षामन्त्र द्वारा संकल्पसूत्र एवं यज्ञोपवीत धारण करके किया जाता है। अन्तरंग सकलीकरण की क्रिया मन शुद्धि, आलोचना पाठ एवं प्रतिक्रमण करके आवश्यक नियमों के साथ संस्कार-विधि द्वारा सम्पन्न की जाती है। तत्पश्चात् मन्त्रों द्वारा क्षेत्र-शुद्धि, भूमि-शुद्धि, दिक्-शद्धि करते हैं। सकलीकरण होने के पश्चात् पात्र सूतक की अशुद्धि से प्रभावित नहीं होते हैं।
जप-अनुष्ठान
_अनुष्ठान की सानन्द सम्पन्नता के लिए मन्त्र-आराधना आवश्यक है। शान्तिमन्त्र, रक्षामन्त्र अथवा णमोकार मन्त्र का निश्चित संकल्प करके जप करते हैं। जपकर्ताओं का सकलीकरण करके उनसे जाप मन्त्र का शुद्धोच्चारण कराकर, आवश्यक सावधानियों का निर्देश देकर जप आरम्भ करते हैं। जप-निरापद, उचित-प्रकाश-युक्त, जहाँ आवागमन न हो, ऐसे कक्ष की शुद्धिपूर्वक पूर्वोत्तर दिशाभिमुख विनायक यन्त्र विराजमान करते हैं। सर्वप्रथम यन्त्र अभिषेक एवं पूजा करके मंगलकलश एवं अखण्ड दीप स्थापित
342 :: जैनधर्म परिचय
For Private And Personal Use Only