________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पर्याय शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार है – स्वभावविभावरूपतया याति पर्येति परिणमतीति पर्यायः इति पर्यायस्य व्युत्पत्तिः अर्थात् जो स्वभाव-विभावरूप होती है, गमन करती है, परिणमती है, परिणमन करती है, वह पर्याय है। __ 1. परिसमन्तात् भेदमेति गच्छतीति पर्यायः अर्थात् जो सर्व ओर से भेद को प्राप्त हो या भेदरूप परिणमित हो, उसे पर्याय कहते हैं। 34 ___ 2. द्रव्य, अपने द्रव्यत्व को कायम रखते हुए अनेक गुणों के माध्यम से जो प्रयोजनभूत अर्थ-क्रिया करता रहता है, उन अर्थ-क्रियाओं की ही पर्याय संज्ञा है।
3. व्यतिरेकिणः पर्यायाः अर्थात् पर्यायें व्यतिरेकी होती हैं। 36 4. पदार्थों के प्रदेश नाम के अवयव भी परस्पर व्यतिरेकयुक्त होने से पर्याय हैं।”
5. क्रमवर्तिनः पर्यायाः अर्थात् एक के बाद दूसरी- ऐसे क्रम-पूर्वक होती हैं, अतः पर्यायें क्रमवर्ती कहलाती हैं। 38 ।
6. द्रव्य के विकार को ही पर्याय कहते हैं। 39 8. स्वाभाविक या नैमित्तिक, विरोधी या अविरोधी सभी अवस्थाओं की विकार संज्ञा
है। 40
9. प्रत्येक द्रव्य में जो सामान्य-विशेष-गुण विद्यमान हैं, उनके परिणमन या विकार को ही पर्याय कहते हैं। 47 ___10. द्रव्य और गुणों दोनों से पर्यायें होती हैं। 42 ___ 11. जो-जो व्यवहारनय, भेदनय या पर्यायार्थिकनय का विषय है, वह-सब पर्याय
है।
परिणमनशीलता से तात्पर्य : निरन्तर गमन करने वाली रेलगाड़ी का सांगोपांग उदाहरण
प्रत्येक द्रव्य का परिणमन स्वभाव है, सूक्ष्मदृष्टि से वह प्रति-समय बदलती रहती है। प्रत्येक द्रव्य की इस प्रति-समय होनेवाली परिणमनशीलता से क्या तात्पर्य है?.... वास्तव में प्रत्येक द्रव्य निरन्तर परिणमन स्वभाव के कारण पर्यायों में गमन कर रहा है, एक समय के लिए भी स्थिर नहीं है।
जैसे- एक रेलगाड़ी निरन्तर गमन कर रही है, वैसे ही प्रत्येक द्रव्य निरन्तर गमन कर रहा है, वह एक-एक समय रुकता हुआ गमन नहीं कर रहा है, प्रति-समय गमन कर रहा है।
जैसे- चलती हुई रेलगाड़ी का फोटो खींचने पर वह फोटो हमें स्थिर दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में वह ट्रेन फोटो खींचते समय भी एक समय के लिए भी वहाँ खड़ी नहीं हुई थी; उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य अपनी पर्यायों में परिणमन कर रहा है, जब उसे जानते हैं, तो हमें ज्ञान में वह एक-समय के लिए स्थिर दिखायी देता है, परन्तु वह द्रव्य एक समय के लिए भी स्थिर नहीं हुआ है। मात्र ज्ञान में ही उस समय की द्रव्य की
द्रव्य-गुण-पर्याय :: 249
For Private And Personal Use Only