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साधना के बल से मुक्त हो गये हैं। इनके भी दो भेद हैं- अर्हन्त और सिद्ध। भारतीय दर्शनों में प्रयुक्त शब्दावली के समानान्तर इन्हें 'जीवन्मुक्त' और 'विदेह मुक्त' भी कह सकते हैं। यह मात्र स्थूल शब्द-साम्य है, लक्षण-साम्य नहीं है। जैन दर्शन में 'अरिहन्त' वे जीव हैं, जो उत्कृष्टतम-आत्मसाधना के बल से चार घातिया कर्मों का विनाश कर चार गति चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण के चक्र से तो मुक्त हो गये हैं, किन्तु शरीर में विद्यमान हैं, अतः इन्हें 'जीवन्मुक्त' कहा जा सकता है; तथा 'सिद्ध' जीव वे हैं, जो अन्तिम शरीर के बन्धन एवं शेष अघातिया कर्मों के बन्धन से भी मुक्त होकर अशरीरी स्वाभाविक आत्म-स्वरूप में अनन्तकाल तक के लिए विराजमान हो गये है तथा पूर्ण आत्मिक गुण जिनके प्रकट हैं और जो अनन्त-आनन्द-मय स्थिति में हैं।
2. पुद्गलद्रव्य- पुद्गल द्रव्य के दो भेद माने गये हैं-1. परमाणु, 2. स्कन्ध। परमाणु पुद्गल की सूक्ष्मतम इकाई है। यह अविभाज्य होता है। अत्यन्त सूक्ष्म होने के कारण यह परमाणु इन्द्रियों से अगोचर एवं प्रयोगों से अतीत है तथा 'स्कन्ध' अनेक पुद्गल परमाणुओं की संयुक्तावस्था है, जो दो, तीन, संख्यात, असंख्यात एवं अनन्त परमाणुओं वाला भी होता है। स्कन्धों के मुख्यत: छह भेद किये गये हैं- 1. स्थूलस्थूल स्कन्ध, 2. स्थूल-स्कन्ध, 3. स्थूल-सूक्ष्म स्कन्ध, 4. सूक्ष्म-स्थूल स्कन्ध, 5. सूक्ष्म स्कन्ध, 6. सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्ध। इनका परिचय निम्नानुसार है1. स्थूल-स्थूल स्कन्ध- जो पुद्गल स्कन्ध टूटने पर आपस में जुड़ नहीं पाते
और जिन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता
है, वे स्थूल-स्थूल स्कन्ध हैं; यथा-पत्थर, लकड़ी, धातु आदि ठोस पदार्थ। 2. स्थूल स्कन्ध- वे स्कन्ध जो छिन्न-भिन्न करने पर भी स्वयं जुड़ जाते
हैं, वे स्थूल-स्कन्ध है। यथा- दूध, पानी, घी, तेल आदि तरल पदार्थ। 3. स्थूल-सूक्ष्म-स्कन्ध- जो नेत्रों द्वारा देखा तो जा सके, किन्तु पकड़ में न
__ आ सके, उसे स्थूल सूक्ष्म स्कन्ध कहते हैं। जैसे-छाया, प्रकाश आदि। 4. सूक्ष्म-स्थूल स्कन्ध- जो आँखों से तो नहीं दिखते हैं, किन्तु शेष इन्द्रियों
से प्रतीत/अनुभव-गम्य होते हैं, उन्हें सूक्ष्म-स्थूल स्कन्ध कहते हैं। जैसे
हवा, गन्ध, रस, आदि। 5. सूक्ष्म-स्कन्ध- जो किसी भी इन्द्रिय से गोचर नहीं हो, उन्हें सूक्ष्म-स्कन्ध
कहते हैं। जैसे-कार्माण स्कन्ध। 6. सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्ध- अत्यन्त सूक्ष्म व्यणुक स्कन्ध को सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्ध
कहते हैं। यह स्कन्धों की अन्तिम इकाई है, इससे छोटा कोई स्कन्ध
158 :: जैनधर्म परिचय
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