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राजस्थान एवं गुजरात के प्रमुख जैन : राजस्थान और गुजरात राजनीतिक चेतना की दृष्टि से अग्रणी राज्य रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात में हुआ। गुजरात से ही अनेक बार क्रान्ति की चिंगारियाँ उठीं। गुजरात का अहमदाबाद तो राजनीति का गढ़ रहा ही है, अन्य बड़े शहर भी भारतीय राजनीति के केन्द्र बिन्दु रहे हैं । 'लौहपुरुष' के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किसानों का आन्दोलन गुजरात के वारडोली से प्रारम्भ किया था। गुजरात में ही वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि से विभूषित किया गया था। 1930 में महात्मा गाँधी ने सुप्रसिद्ध दांडी यात्रा यहीं से प्रारम्भ कर अँग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था। राजस्थान में 'मारवाड़ लोक परिषद्' जैसी अनेक संस्थाओं ने जन-जागृति कर नवयुवकों को आन्दोलन के लिए प्रेरित किया था ।
राजस्थान और गुजरात दोनों ही राज्यों में जैन समाज के लोग अत्यधिक मात्रा में निवास करते हैं। राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि शहरों में बहुतायत से जैन समाज के लोग रहते हैं । सामाजिक और अर्थिक योगदान के साथ राजनीति में भी इन प्रदेशों के जैनों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जयपुर के पंडित अर्जुनलाल सेठी जैसे क्रान्तिकारियों के योगदान को कैसे विस्मृत किया जा सकता है, जिन्होंने क्रान्तिकारियों को तैयार करने के लिए जयपुर में जैन विद्यालय की स्थापना की थी। सेठी जी जैनधर्म के इतने कट्टर अनुयायी थे कि वैलूर जेल में बन्द होने पर जिनमूर्ति का दर्शन न कर पाने के कारण वे छप्पन दिन तक निराहार रहे थे। जयपुर केही श्री छोटेलाल जैन के निधन पर महात्मा गाँधी ने सम्पादकीय लिखा था। सूरत के श्री छोटालाल घेलाभाई गाँधी 'छोटा गाँधी' के नाम से विख्यात थे, दांडी यात्रा के समय महात्मा गाँधी इन्हीं के निवास पर रुके थे । गुजरात की सरला देवी साराभाई ने दांडी यात्रा के समय महिलाओं का नेतृत्व किया था ।
राजस्थान और गुजरात दोनों राज्यों के अनेक जैन बन्धुओं ने आजादी के आन्दोलन में जेल यात्रा कर तथा अन्य प्रकार से सहयोग देकर आजादी का मार्ग प्रशस्त किया
था।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश के प्रमुख जैन : राजनीतिक चेतना की दृष्टि से मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य रहा है इसका पुराना नाम मध्य भारत या मध्य प्रान्त भी था । तब इसमें महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा, जिसमें नागपुर प्रमुख है, था । विन्ध्य प्रदेश में वर्तमान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिले थे । वर्तमान बुन्देलखंड में अब भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जिले सम्मिलित हैं। वर्तमान छत्तीसगढ़ भी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से को अलग कर अलग राज्य बनाया गया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश की सीमाएँ मिली हुई हैं। इन सभी प्रदेशों के
स्वतन्त्रता आन्दोलन में जैनों का योगदान :: 123
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