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तभी मलाया में रहने वाले भारतीयों ने भी 'इंडिया इंडिपेंडेंस लीग' नामक संस्था की स्थापना की। इसी लीग के नियन्त्रण में 'आजाद हिन्द सेना' संगठित करने का निर्णय लिया गया। कैप्टन मोहन सिंह इसके कमांडर बनाये गये और बीस हजार सैनिक इसमें शामिल हो गये। इसी समय सुभाषचन्द्र बोस गुप्त रीति से भारत से टोकियो पहुँचे । रास बिहारी बोस ने सिंगापुर में घोषणा कर दी कि - 'अब आगे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का नेतृत्व सुभाषचन्द्र बोस करेंगे।'
26 जून, 1943 को सुभाषचन्द्र बोस ने टोकियो रेडियो से प्रवासी भारतीयों के नाम अपना पहला भाषण प्रसारित किया। बीस हजार भारतीय सैनिकों की शानदार परेड में उन्हें सलामी दी गयी। इस समारोह में जापानी प्रधानमन्त्री भी उपस्थित हुए थे । सुभाषचन्द्र बोस ने 'आजाद हिन्द फौज' के नाम की प्रसिद्ध अपील प्रकाशित की, जिसके अन्त में उन्होंने कहा था - " तुम मुझे खून दो- मैं तुम्हें आजादी दूँगा ।" इसी के बाद सभी ने सुभाषचन्द्र बोस को 'नेताजी' उपनाम से पुकारना प्रारम्भ कर दिया था। जो लोग सेना में नहीं थे, उन्होंने धन से व अन्य प्रकार से फौज की सहायता करना प्रारम्भ कर दिया। आजाद हिन्द फौज में जैनियों ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग दिया था । धनधान्य की अपरिमित सहायता इस समाज ने की थी। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के निजी चिकित्सक रहे कर्नल डॉ. राजमल कासलीवाल अपनी अँग्रेज सेना की कर्नली छोड़कर आजाद हिन्द फौज में सम्मिलित हो गये थे ।
'Whos who in the world' में उल्लिखित एवं देश में चिकित्सा के उत्कृष्ट पुरस्कार 'बी.सी. राय अवार्ड' से सम्मानित डॉ. राजमल कासलीवाल, पुत्र- श्री मुंशी प्यारेलाल कासलीवाल का जन्म 20 नवम्बर, 1906 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ । 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.बी.बी.एस. पास करने के बाद आप उच्च शिक्षार्थ इंग्लैंड चले गये जहाँ से 1931 में डी. टी. एम. एंड एच. तथा 1932 में लन्दन से एम. आर. सी. सी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। 1935 में 'इंडियन मेडीकल सर्विसेज ' के अन्तर्गत आप भारतीय सेना में सम्मिलित हुए, जहाँ लेफ्टिनेंट कर्नल तक के विभिन्न पदों पर कार्य किया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध में आपको मलाया भेजा गया, जहाँ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से आपकी भेंट हुई। नेताजी की देशभक्ति से इनमें देशभक्ति की भावना हिलोरें लेने लगीं। इधर नेताजी भी उनकी सेवाओं से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी 'आजाद हिन्द फौज' में सम्मिलित होने का आग्रह किया। कासलीवाल जी तत्काल 'आजाद हिन्द फौज' में सम्मिलित हो गये, जहाँ 1945 तक आप निदेशक 'चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा' के पद पर रहे। आप नेताजी के निजी चिकित्सक भी थे ।
128 :: जैनधर्म परिचय
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