________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रसिद्धि है। यहाँ बाहुबली स्वामी की अट्ठाइस फुट ऊँची श्वेत मकराना पाषाण की भव्य खडगासन मूर्ति है। यहाँ एक प्रसिद्ध जैन गुरुकुल मन्दिर है जिसमें बड़े विद्वान और आस्थावान त्यागी रहे हैं। इस महाविद्यालय ने अनेक परम्परागत विद्वान जैन समाज को दिए हैं। कुन्थलगिरि- यह सिद्धक्षेत्र है। यहाँ से कुलभूषण और देशभूषण मुनिराजों ने निर्वाण प्राप्त किया। कुलभूषण और देशभूषण नाम से एक मन्दिर भी है। दोनों मुनिराजों के वहाँ चरणचिह्न हैं। आचार्य शान्तिसागर महाराज का समाधिमरण इसी क्षेत्र पर हुआ था। धाराशिव की गुफाएँ– धाराशिव की गुफाएँ 'लयण' कहलाती हैं। ये उस्मानाबाद शहर के निकट हैं। इन गुफा-मन्दिरों का इतिहास बहुत प्राचीन है। हरिषेण कथाकोश' में इन गुफाओं का विस्तार से वर्णन है।
एलोरा के गुफा-मन्दिर
औरंगाबाद से पश्चिम के तीस किलोमीटर दूर पर अवस्थित जगत-विख्यात गुहा मन्दिर हैं। इनकी संख्या चौतीस है। तीस से चौतीस नम्बर की गुफाएँ जैनधर्म से सम्बन्धित हैं। शेष का सम्बन्ध बौद्धधर्म से है। एलोरा अपने शिल्प-वैभव और स्थापत्य कला की दृष्टि से अद्वितीय है। यहाँ पार्श्वनाथ और बाहुबली की मूर्तियों की कला का वैविध्य दिखाई देता है। शासन देवी-देवताओं में चक्रेश्वरी, पदमावती, अम्बिका, सिद्धार्यका तथा गोमेद, मातंग और धरणेन्द्र की मूर्तियाँ विशेष उल्लेखनीय हैं। ___ कलाक्षेत्र में कर्नाटक के तीर्थों के सन्दर्भ में अपनी दृष्टि को कहीं अधिक विस्तार देना होगा। दरअसल यहाँ श्रद्धा और भक्ति, कला और स्थापत्य के माध्यम से साकार की है। गोम्मटेश्वर बाहुबली के प्रति भक्ति को कला-मर्मज्ञों ने पर्वत-खंड में जो मनमोहक रूप दिया है, वह अपने आप में अद्वितीय है। ___आचार्य भद्रबाहु स्वामी, आचार्य कुन्दकुन्द, सिद्धान्तचक्रवर्ती आचार्य नेमिचन्द्र, वीरमार्तण्ड चामुंडराय, महिमामयी काललदेवी, कूशमांडिनी, महादेवी शान्तला इन सबके आख्यानों ने यहाँ के मन्दिरों, शिलालेखों, मानस्तम्भों और भित्तिचित्रों में अपना इतिहास प्रतिष्ठापित किया है। इन मूर्तियों और मन्दिरों के पीछे जो कई-कई विचित्र घटनाएँ हई हैं, उससे ये कलाक्षेत्र मात्र कला के क्षेत्र न रह कर अतिशयक्षेत्र बन गये हैं। कर्नाटक के ये स्थान, जिन्हें तीर्थ-वन्दना में शामिल किया जाता है, उनमें- श्रवणबेलगोल, वेल्लूर, धर्मस्थल, वेणूर, मूडबिद्रि, कारकल, बारांग, कुन्दकुन्दवेट (कुन्दाद्रिगिरि), हुमचा सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।
श्रवणबेलगोल
सम्पूर्ण भारत में सबसे अधिक विख्यात परम पावन जैन तीर्थ है। कला-इतिहास और अतिशय-सम्पन्नता के कारण इसकी महिमा अन्य तीर्थों की तुलना में कहीं अधिक
जैनतीर्थ :: 113
For Private And Personal Use Only