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चाँदखेड़ी
यह झालावाड़ जिले के खानपुर कस्बे से लगभग तीन फलांग की दरी पर रूपली नदी के तट पर अवस्थित है। यहाँ पर भगवान आदिनाथ की बहुत ही कलापूर्ण मूर्ति विराजमान है। यह मूर्ति अनेक चमत्कारों एवं अतिशयों से सम्पन्न है। मुख पर शान्ति और करुणा की निर्मल भावप्रवणता है। सच ही, मूर्ति के दर्शन से भक्तजन को अपार शान्ति मिलती है।
पद्मपुरा
यह क्षेत्र जयपुर से 34 कि.मी. दूर दक्षिण में स्थित है। यहाँ भी खुदाई में श्वेत पाषाण भगवान पद्मप्रभ की एक पद्मासन मूर्ति प्राप्त हुई थी। आज यहाँ एक विशाल मन्दिर है। यह मन्दिर इतना भव्य है कि पूरे राजस्थान में इसकी ख्याति है।
केशोराय पाटन
अतिशयक्षेत्र केशोराय पाटन बूंदी जिले से 43 कि.मी. चम्बल नदी के उत्तर तट पर अवस्थित है। अत्यन्त प्राचीनकाल से ही इस स्थान की तीर्थ के रूप में प्रसिद्धि रही है। यहाँ मुनिसुव्रतनाथ की चमत्कारी मूर्ति विराजमान है। कहा जाता है कि मोहम्मद गोरी राजस्थान विजय के सिलसिले में यहाँ भी पहुंचा था। उसके सैनिकों ने मूर्ति तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।
चित्तौड़ का किला (जैन कीर्तिस्तम्भ)
स्थानीय जनता इस स्तम्भ को 'कीर्तम' कहती है। 75 फुट ऊँचे इस स्तम्भ का व्यास 31 फुट है। ऊपर जाकर यह 15 फुट रह गया है। इतिहासवेत्ताओं के अनुसार यह प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को वि. सं. 952 में अर्पित किया गया था। निश्चय ही शिल्प का यह अनुपम उदाहरण है। इसके चारों कोनों पर आदिनाथ की खडगासन में पाँच फुट अवगाहना वाली दिगम्बर मूर्तियाँ हैं। जयस्तम्भ की अपेक्षा यह प्राचीन है।
ऋषभदेव (केसरियाजी)
राजस्थान के उदयपुर जिले में यह तीर्थ अतिशयक्षेत्र के रूप में विख्यात है। यहाँ ऋषभदेव की साढ़े तीन फुट अवगाहना वाली पद्मासन में काले पाषाण की भव्य मूर्ति विराजमान है। इस मूर्ति के सम्बन्ध में अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। भक्तजन यहाँ आकर भगवान के चरणों में केशर चढ़ाते हैं और मनौती मनाते हैं। यहाँ मन्दिर के
जैनतीर्थ :: 111
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