________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रयाग
भगवान ऋषभदेव ने दीक्षा धारण करने से पूर्व अपने पुत्रों को जिन विभिन्न नगरों के राज्य सौंपे, उनमें कोशलदेश का नगर पुरिमताल वृषभसेन नामक पुत्र को दिया था। पश्चात् वैराग्य हो जाने पर उन्होंने इस नगर के पास ही सिद्धार्थवन में एक वटवृक्ष के नीचे दीक्षा धारण की थी। दीक्षा लेते ही उन्हें मनःपर्यय ज्ञान उत्पन्न हो गया था। इसी समय अनेक-अनेक राजाओं ने भी उनके साथ दीक्षा ग्रहण की। उसी समय से सिद्धार्थवन का नया नाम प्रयाग पड़ गया। इस सम्बन्ध में 'हरिवंशपुराण' (9.96) में आचार्य जिनसेन लिखते हैं :
एवमुक्त्वा प्रजा यत्र प्रजापतिमपूजयन्।
प्रदेश:स प्रयागाख्यो यतः पूजार्थयोगतः॥ अर्थात् तुम लोगों की रक्षा के लिए राज करने में कुशल भरत को नियुक्त किया है। तुम उनकी सेवा करो। प्रजा ने जिस स्थान पर भगवान की पूजा की, वह स्थानविशेष पूजा के कारण प्रयाग कहा जाने लगा। और जिस वटवृक्ष के नीचे उन्हें अक्षयज्ञान (केवलज्ञान) हुआ, वह अक्षयवट नाम से विख्यात है :
वट प्रयागतल जैनयोग धर्मों सदभासह।
प्रकट्यो तीर्थप्रसिद्ध पूरनभवि मया अक्षय॥ (सर्वतीर्थवन्दना') वर्तमान में प्रयाग म्यूजियम, इलाहाबाद में जैन पुरातत्त्व की कलाकृतियों का बहुत बड़ा संग्रह है। ये कलाकृतियाँ कौशाम्बी, पभोसा, गया आदि अनेक स्थानों से यहाँ लाकर रखी गयी हैं। इनमें चन्द्रप्रभ, सर्वतोभद्रिका, आदिनाथ, शान्तिनाथ और अम्बिका की मूर्तियाँ कलाकृति की दृष्टि से अतिमहत्त्वपूर्ण हैं।
प्रयाग प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी है। अब यह इलाहाबाद शहर का एक हिस्सा बन गया है। त्रिवेणी (गंगा-यमुना-सरस्वती) के संगम पर हर बारह वर्ष के अन्तराल पर विश्वप्रसिद्ध कुम्भ का मेला लगता है।
हस्तिनापुर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर की गणना प्राचीन नगरों में की जाती है। यह कुरुवंश की राजधानी तो थी ही, सोलहवें तीर्थंकर शान्तिनाथ, सत्रहवें तीर्थंकर कुन्थुनाथ और अठारहवें तीर्थंकर अरहनाथ की जन्मभूमि भी है। यहाँ इनके गर्भ, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक भी हुए हैं। इस प्रकार यह तीन-तीन तीर्थंकरों की कल्याणकभूमि होने के कारण बहुत प्राचीनकाल से तीर्थक्षेत्र के रूप में मान्य रहा है। भगवान आदिनाथ का धर्मविहार भी यहाँ हुआ। भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) के लिए
104 :: जैनधर्म परिचय
For Private And Personal Use Only