________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रश्नव्याकरणसूत्रे तज्जीवान् पृथिव्यादि निश्रितांश्चैव, 'तदाहारे' तदाधारान्ते पृथिव्यादयः आधारो येषां ते तान् तदाधारान् पृथिव्याद्याश्रयान् अथवा 'तदाहारे' तदाहारान् ते पृथिव्यप्तेजोवायवाट्य एव आहारो येषां ते तान् तदाहारान् 'तप्परिणयवण्णगंधरसफासबौदिख्वे' तत्परिणतवर्णगन्धरसस्पर्शबौदि (शरीर) रूपान्तेषामेव पृथिव्यादीनां परिणता वर्णगन्धरसस्पर्शे या बौदिः शरीरं सैव रूप-स्वभावो येषां ते तथा तान् , ' अचक्खुसे य' अचाक्षुषान्चक्षुरगोचरान् 'चक्खुसे य' चाक्षुषांश्च चक्षुरिन्द्रियविषयान् 'तसकाइए' त्रसकायिकान् सन्ति उष्णाघभितप्ताः सन्तः विवक्षितस्थानादुद्विजन्तेबाच्छन्ति छायाघासेवनाथै स्थानान्तरमिति बसाः, यद्वा-त्रस नामकर्मोदयात् त्रस्यन्ति इति त्रसा: त्रसनामकर्मोदयवर्तिनइत्यर्थः, तेषां कायोराशिस्तत्र भवास्त्रसकायिकाः, तान् , कियतः ? इत्याह-'असंखे' इत्यादि-'असंखे' असंख्यान् ‘थावरकाए' स्थावरकायान् , तिष्ठइत्यादि पदों द्वारा कही जाती है-(तम्मयतज्जीवए ) पृथिवी कायिक आदि जीवों को तथा पृथिवी आदि के सहारे रहे हुए जीवों को, (तदाहारे) जिन जीवों के वे पृथिवी आदिक आधारभूत हैं ऐसे जीवों को अथवा पृथिवी आदिक ही जिनका आहार है ऐसे जीवों को (तप्परिणय वण्णगंधरसफासयोंदिरूवे ) तथा पृथिव्यादिकों के वर्ण, गंध, रस, स्पर्शी से जिनका शरीररूप स्वभाव परणित हो रहा है, तथा (अचकखुसे य) जो चक्षु इन्द्रिय विषयभूत नहीं है, और (चक्खुसे य) जो चक्षु इन्द्रिय के विषयभूत भी हैं ऐसे त्रस जीवों को-उष्गादिक से संतप्त होकर जो छाया आदि के सेवन के लिये एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, अथवा त्रस नामकर्म के उदय से जो युक्त हैं वे स हैं, ऐसे सजीवों को, तथा-(असंखए थावरकाए य) असंख्यात स्थावर कायों को, स्थाछ-" तम्मयतज्जीवए” पृथिवी थि: यौन तथा पृथिवी माहिने माश्रये २स याने “तदाहारे" याने ते पृथिवी मा आधारभूत छ मेवा
वान अथवा पृथिवी माहि भनी २२ मेवा ७वाने “ तप्परिणय वण्णगंधरसफासबोंदिरूवे" तथा पृथिवी यानि १ गध, २४, २५ थी सभनी शरी२३५ मा परिणत २७ २wो छ, तथा “अचक्खुसे य" यक्ष धन्द्रियना विषय३५ नथी, भने “चक्खुसे य" 2 यक्षु धन्द्रियना विषय३५ ५५ છે એવા વસ ને ઉષ્ણતા આદિથી દુઃખ પામીને જે છાયા આદિના સેવન માટે એક જગ્યાએથી બીજી જગ્યાએ જાય છે, અથવા ત્રસ નામકર્મના ઉદયથી २ युत छ, तामा उस गाय छ. मेवा सोने, तथा "असंखए थावर काएय" अस ज्यात स्था१२योने-स्था१२ नाममन अश्य भने छेते स्था१२
For Private And Personal Use Only