________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सुदर्शिनी टीका अ0 ३ सू० ६ सङ्ग्रामवर्णनम् 'विघुट्ट ' विघुष्ट-विरूपघोषकरणम् 'उकिटकंठकयसद' उत्कृष्टकण्ठकृतशब्द:= हर्षात् उत्कृष्टः-अतिशयितः कण्ठेन कृतः शब्दः गलगलाटरूपः स एव 'भीमगज्जिय' भीमगर्जितं-मेधध्वनिश्च, इत्येतानि हय हेषितादीनि सन्ति यत्र स तथा तस्मिन् । पुनः कीदृशे ? तदाह-सयराहहसंतरुसंतकलकलरवे' सयराहहसत् रुष्यत् कलकलरवे-'सयराह ' इति युगपत् हसतां रुष्यतां क्रुध्यतां सैनिकानां कलकलरवः कोलाहलो यत्र स तथा तत्र । तथा-' आमणियवयणरुद्दभीमदसणाधरोहगाढइट्ठसप्पहारकरणुज्जयकरे' आनितवदनरौद्रभीमदशनाधरोष्ठगाढदृष्टसत्यहारकरणोद्यतकरे-तत्र आशूनितेन-ईपत्स्थूलीकृतेन वदनेन-मुखेन ये रौद्राः क्रोधचण्डास्ते तथा, तथा-भीम-क्रोधावेशाद् भयङ्करं यथास्यात्तथा दशनैः दन्तैरधरोष्ठं गाढं दृष्टं यैस्ते तथा परमुभटास्तेषां सत्पहारकरणे = शोभनतया शस्त्र गर्जना हो रही है ( छिलिय ) 'सी सी' इस प्रकार का जहां सीत्कार शब्द हो रहा है, ( विघुट्ठ ) योद्धाओं द्वारा विरूपघोष जहां किया जा रहा है, ( उकिट्ठकंठकयसद्द ) हर्ष से फूले हुए जहां अपने २ कंठों से उत्कृष्ट गलगलाट रूप शब्द कर रहे हैं (भीमगज्जिए ) इस कारण ऐसा वहां ज्ञात होता है कि मानों मेघ ही यहां गर्ज रहा है । ( सय. राहहसंतरुसंतकलकलरवे ) ( हसंत ) हँसते तथा ( रुसंत ) क्रोध से रुष्ट हुए सैनिक जनों का ( सयराह ) एक साथ जहां पर ( कलकलरवे) कलकल शब्द हो रहा है, तथा जहां सैनिकजन ( आणियवयण ) अपना२ मुँह थोड़े से रूपमें फुलाकर (रुद्द ) क्रोध से चण्ड यन रहे हैं तथा ( भीम ) क्रोध के आवेश से भयङ्कररूप में जहां वे ( दसणाधरोढगाढदट्ठ) अपने २ अधरोष्ठों को दृढ़ना पूर्वक डस रहे हैं, तथा (सप्प"छिलिय” ' सीसी' मेयो च्यां सि२ A हो २४ २ छ. तथा "विघुटु" योद्धामा द्वारा वि३५ ३५ या ४२१४ रयो छ, “ उक्किट्रकंठकयसह" मान थी કુલાઈ ગયેલા સૈનિકે જ્યાં પિત પિતાના કંઠમાંથી ઉત્કૃષ્ટ ગર્જના જેવા શબ્દ आढी २॥ छ, “ भीमगज्जिए" ते २२, त्या मेध ना ४१ रहो डाय ते साणे छे. “सयराहहसंतरुसंतकलकलरवे" " हसंत" सता तथा “ रुसंत ” पायभान थयेस सैनिछान! ' सयराह" ४ साथे त्यां " कलकलरवे" ४८ ४८ २०४-८पनि रह्यो छ, तथा न्यो सनि“ आसूणि य वयण" पोत पोतनुं भुप थे. प्रभामा सावान — रुद्द ” अधथी 6
मनी २स छ, तथा " भीम ” ओपना मावेशमा नय४२ रीते न्यो तेस। . “ दसणाधरोढगाढदट्ट" पातयोताना अवशेष्ठीने यी ४२७ २७स
For Private And Personal Use Only