Book Title: Prashnavyakaran Sutram
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनी टोका अ० ५ सू) १३ उपसंहारः
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श्वपि वयाई ' व्रतानि - अहिंसादीनि ' महन्वयाई ' महाव्रतानि ' हे उसयविवित्तपुकलाई ' हेतुशत विविक्तपुष्कलानि = हेतुशतैः = उपपत्तिशः विविक्ते:-निदोषैः कृस्वा पुष्कलानि=वितीर्णानि 'कहियाई ' कथितानि 'अरिहंतसासणे' अर्हच्छासने - जनप्रवचने । ते च ' संवरा: ' समासेण ' समासेन संक्षेपेण 'पंच' पञ्चपञ्चसंख्यकाः, ' वित्रेण उ' विस्तरेण तु ' पण्णत्रीसह ' पञ्चविंशतिः - प्रतिसंवरद्वारं पञ्चपञ्चभावनासत्त्वेन पञ्चविंशतिसंख्यकाः भवन्ति । अथ संवरधारिणां भाविनी दशा वण्यते-' संजए 'संयतः साधुः ' समिए' समित: - ईर्ष्या समित्या दिभिः पञ्चविंशतिभावनाभिर्युक्तः, सहिए' सहितः - ज्ञानादर्शनाभ्यां युक्तः, 'संबुडे' संवृतः = पायेन्द्रियसंवरणयुक्तः 'सया' सदा ' जयणघडणसुविसुद्ध -
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अब सूत्रकार पांचों संवरों का उपसंहार करते हुए कहते हैंयाई' इत्यादि । टीकार्थ - ( सुव्व !) शोभनवत संपन्न हे जम्बू ! (एयाई पंचवि महव्वयाई) ये पांचों ही अहिंसा आदिक महाव्रत (अरिहंतसासणे हे उसयविविसपुकलाई कहियाइ) अर्हत प्रभु के शासन में सैकडो निर्दोष युक्तियों से विस्तृत करके कहे गये हैं । (संवरा समासेण पंच) वे संवर संक्षेप से पांच हैं परन्तु (वित्रेण उ पणवीसई) विस्तार से पांच २ अपनी२ भावनाओं से सहित होने के कारण ये पचीस हो जाते हैं । (संजए ) इन संवरद्वारों का पालन करने वाला संयत ( समिए ) ईर्यासमिति आदि पच्चीस भावनाओं से युक्त (सहिए) ज्ञानदर्शन से सहित और ( संडे) कषाय एवं इन्द्रियों के संवरण से युक्त होता हुआ (सया ) सदा ( जपणघडण सुविसुद्वदंसणे) अपने तस्वार्थ श्रद्धानरूप दर्शन को
हवे सूत्रावरीन उपहार उरतां उडे छे...." एयाइ " त्याहि. टीडार्थ – “ सुव्वय ! " शोलनत्रत युक्त हे क्यू ! " एयाइ पंचवि महव्वयो " अहिंसा माहिते यांचे महावत " अरिहंत सासणे हे उसयविवित्त पुक्कलाइ कहियाइ' ” अद्भुत अलुना शासनभां से उडो निर्दोष युक्तियोथी विस्ता रथी हेवामां मायां छे. " संवरा समासेण पंच " ते सवर संक्षिप्तभां पांय
"
छे थएणु “ विस्थरेण उ पणवीसई " विस्तारथी पोत पोतानी पांय पांथ लावनाम सहित होवाने अरणे पचीस थाय छे. " संजए" मे संवरद्वारनं पादान ४२नार संयंत "समिए” यसमिति सहि पथीस लावनाओोथी युक्त" सहिए" ज्ञानदर्शनथी युक्त भने " संबुडे ” उषाय भने हन्द्रियांना संवरथी युक्त थाने "
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सया સદા
जयसुविसुद्ध
" पोताना तत्त्वार्थ श्रद्धान
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