________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
فرق
सुदर्शिनी टीका अ० ४ सू०२ ब्रह्मवयस्वरूपनिरूपणम् पवरं तथैव व्रतानां मध्ये इदं ब्रह्मचर्य प्रवरम्। तथा-' झाणेसु य' ध्यानेषु चध्यानमध्ये यथा 'परमसुकज्झाणं' परमशुक्लध्यान-शुक्लथ्यानस्य चतुर्थपादरूपं प्रवरम् , तथा-नाणेमु य ' ज्ञानेषु च यथा परमकेवलं तु परिपूर्णविशुद्ध केवलज्ञानं अर्थात्-सायिकज्ञानं सिद्ध-प्रवरत्वेन प्रसिद्धम् , तथैवेदं ब्रह्मचर्य व्रतानांमध्ये प्रसिद्धम्-तथा-'लेसासु य ' लेश्यासु-कृष्णाद्यासु च यथा, 'परमसुक्कलेस्सा' परमशुक्ललेश्या-शुक्लध्यानस्य तृतीयभेदवर्तिनी प्रवरा । 'तित्थकरो चेव' तीर्थकरश्चैव 'जहा' यथा ' मुणीणं ' मुनीनां मध्ये प्रवरः ‘वासेसु' वर्षेषु क्षेत्रेषु ' जहा' यथा 'विदेहे' विदेहः-महाविदेहक्षेत्र प्रवरम् , तथैवेदं व्रतंव्रतानां मध्ये प्रवरम् । यथा जम्बूद्वीपे 'मंदरवरे' मन्दरवरो 'गिरिराया' गिरिराजो-मेरुपर्वतश्चैव पर्वतानां मध्ये पवरः, 'वणेसु ' वनेषु 'जहा' यथाससंस्थान प्रवर माना जाता है-उसी प्रकार यह ब्रह्मचर्य व्रतों में प्रधान बत माना जाता है। इसी तरह (झाणेसु वरं सुकन्झाणं ) चार ध्यानों में जैसे परम शुक्लध्यान शुक्लध्यानका चौथा भेद, उत्तम होता है और (नाणेसु य परमकेवलं सिद्धं) आभिनियोधिक आदि पांच ज्ञानों में जैसा केवलज्ञान उत्तम होता है (लेसासु य परममुक्कलेसा) कृष्ण आदि छह लेश्याओं में जैसे परमशुक्ल लेश्या-शुक्लध्यान के तीसरे (पाये) पादमें होनेवाली लेश्या-उत्तम होती है (जहा मुणीणं तित्थयरो) मुनियों के बीच में जैसे तीर्थकर सर्वोत्तम होते हैं, तथा (वोसेसु जहा विदेहे ) क्षेत्रों में जैसे विदेहक्षेत्र सब से उत्तम क्षेत्र होता है, उसी तरह व्रतों में यह ब्रह्मचर्य व्रत सबसे प्रधान व्रत हैं। तथा-(मंदरवरे गिरिराया) जैसे जंबूद्वीप में पर्वतों के मध्य में मंदर वर गिरिराज श्रेष्ठ है, સસ્થાન જેમ શ્રેષ્ઠ મનાય છે તેમ આ બ્રહ્મચર્ય વ્રત પણ સઘળા વ્રતમાં भुज्य भनाय छ. मे ४ प्रमाणे “ झाणेसु वर सुक्कझाणं" या२ ध्यानामा
म ५२५ शुखध्यान। था। मे उत्तम उय छ, भने “ नाणेसु य परमकेवलं सिन" मालिनिमाधि माहि पांय ज्ञानामा भ ज्ञान उत्तम डाय छ, “लोसासु य परमसुक्कलेसा " ए मा७ि वेश्यागमा म शुभदावेश्या-शुसध्यानना श्री ५६मां-पायामा थनारी वेश्या-उत्तम लायछ. "जहा मुणीणं तिस्थयरो" भुनियानी ये रेभ तिथ ४२ सर्वोत्तम डाय छ, “वासेसु जहा विदेहे " क्षेत्रामा म वि क्षेत्र सर्वोत्तम छे, मे १ प्रमाणे २५॥ प्राय प्रत सघi प्रतामा प्रधान व्रत छ. तथा “मंदरवरे गिरिराया" २. pluभा ५ मा २२।२८ म ४२१२ श्रे४ छ, “वणेसु जहा गंदण
For Private And Personal Use Only