Book Title: Prashnavyakaran Sutram
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 973
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२४ प्रश्नव्याकरणसूत्रे वक्ष्यामाणपदार्थेषु स्थितान्‘साइय' स्वादयित्वा अविरतगृहस्थावस्थायामास्वाय, 'किं ते ' काँस्तान केषु केषु पदार्थेषु स्थितांस्तान् ? इत्याह-'उग्गहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकय तेलघयकयभक्खेसु ' अवगाहिमविविधपानभोजनगुडकतखण्डकृततैलघृतकृतभक्ष्येषु-तत्र-अवगाहिमानि अवगाहनेन घृततैलादिषु बोलनेन पाकतो निष्पन्नानि यानि तानि पक्कान्नानि खण्डखायादीनि अगाहिमानि' कथ्यन्ते, तथा-विविधानि=बहुविधानि पानभोजनानि, तथा-गुडकृतानि-गुडेन निष्पादितानि, खण्डकृतानि वण्डेन निष्पादितानि, तैलघृतानि तैलेन घृतेन च ही धारण करना चाहिये, इसी विषय को सूत्रकार विशेषरूप से इस मूत्र द्वारा समझाते हैं-(जिभिदिएण) साधु जिहा इन्द्रिय से ( मणुण्ण भद्दगाई रसाणिउ ) मनोज्ञ-भद्रक रसको ( साइय ) अस्वादित करके उसमें राग आदि न करे इस प्रकार का यहां संबंध लगा लेना चाहिये, (किं ते ) यह मनोज्ञ रस किन २ पदार्थों के सहारे रहता है, इस प्रकार की आशंका का उत्तर देने के निमित्त सूत्रकार यहाँ उन कितनेक पदार्थों के नाम निर्दिष्ट करते हैं (उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकयतेल्लघयकयभक्खेसु) घृत, तैल आदिका जिनमें पहिले भोंन (तला जाता) दिया जाता हैं और फिर बादमें जो उनमें ही चुरोये जाकर पकाये जाते है ऐसे खाजा आदि पक्वान्न अवगाहिम कहलाते हैं तथा अनेक प्रकारका जो पान भोजन होताहै वह विविध पान भोजन कहलाता है गुड मिला कर बनाया गया ' एवं खांड मिश्रित कर बनाया गया विशेष भोजन गुड़कृत भोजन और खंडकृत भोजन कहलाता है । तैल ભાવ જ રાખવું જોઈએ. એ જ વિષયને સૂત્રકાર વિસ્તારપૂર્વક આ સૂત્ર દ્વારા सभनव छ “ जिभिदिएण" साधुसे लथी “ मणुण्णभद्दगाई रसाणिउ" भनाज्ञ-मद्र २सना “साइय" मास्वाह चीन तमाशाह ४२ नये नही. " किं ते" से मनोज्ञ २४ ज्या ज्या पहार्थीमा डाय छे, ते प्रश्नमा ઉત્તર આપતા સૂત્રકાર અહીં એવા કેટલાક પદાર્થોના નામનો ઉલ્લેખ કરે છે " उग्गाहिम-विविहपाण-भोयण-गुलकय-खंडकय- तेल्ल-घयकय-भक्खेसु" घी, तेस આદિનું જેમાં પહેલા જેમાં મેણુ દેવાય છે અને પછી તેમાં જ તળીને પકવવામાં આવે છે એવા ખાજા આદિ પકવાનને અવગાહિમ કહે છે. તથા અનેક પ્રકારના જે પાન (પી શકાય તેવા) ભેજન હોય છે તેમને વિવિધ પાન ભજન કહે છે, ગેળ નાખીને બનાવેલા ભોજનને ગુડકૃત અને ખાંડ નાખીને બનાવેલા ભેજનને ખાંડકૃત ભજન કહે છે. તેલ અને ઘીમાં બનાવેલ લાડુ For Private And Personal Use Only

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