________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रश्नव्याकरणसूत्रे मपि मनुजभाव-मनुष्योनि लभन्ते-आप्नुवन्त्यपि चेत्तर्हि तत्थवि य' तत्रापि च भवन्ति-जायन्ते, 'अणारिया' अनार्याः=म्लेच्छाः शकयवनादयः कीदृशाः ? इत्याह-'नीयकुलसमुप्पण्णा' नीचकुलसमुत्पन्नाः ‘आरियजणे विलोयवज्झा' आर्यजनेऽपि लोकबाह्या यदि कदाचिन्मगधाधार्यदेशे समुत्पन्ना अपि लोकवर्जनीयाः श्वपाकादिकुलसंभूता भवन्ति जनैस्तिरस्कृता इत्यर्थः, पुनश्च 'तिरिक्ख भूया य ' तिर्यग्भूताश्च पशु तुल्या विवेकशून्यत्वात् 'अकुसला' अकुशलाः= वस्तुतत्वाऽनभिज्ञाः ' कामभोगतिसिया' कामभोगतृषिताः-तत्र कामौ शब्दरूप लक्षणौ भोगाः गन्धरसस्पर्शलक्षणास्तेषु वृषिताः आसक्ताः 'जहिं ' यत्र मनुष्य भवेऽपि लोकवाहाकुले 'निरयवत्तणी भवप्पवंचकरणपणोल्लि पुणो वि संसारावतो (तत्थवि य ) वहां पर भी वे ( अणारिया ) अनार्यमनुष्यों-म्लेच्छो शक यवन आदि पर्यायों में ही (भवंति ) उत्पन्न होते हैं । ( नीचकुलसमुप्पण्णा ) ये अनार्यजन नीचकुल के होते हैं । ( आरियजणेवि ) यदि कदाचित् मगध आदि आर्यदेश में उत्पन्न हुए तो ये वहां ( लोययज्झा) लोकवायजनों में-चाण्डाल आदि निंदित नीचकुलों में-उत्पन्नहोते हैं। वहां सदा ये तिरस्कृत होते रहते हैं। ( तिरियभूयाय ) विवेक शून्य होने के कारण ये तिर्यंच जैसे ही वहां बने रहते हैं ( अकुसला ) वस्तुतत्त्व से अनभिज्ञ रहते हैं। (कामभोगतिसया) शब्द, रूप लक्षण काम एवं गंध रस, स्पर्श लक्षण भोगों में आसक्त रहते हैं, (जहिं ) लोक बाह्य कुलों में मनुष्य भव प्राप्त कर लेने पर भी (निरियवत्तणी) नरकगमन के मार्गभूत, ( भवपवंचकरणपणोल्लि) भव परंपरारूप प्रवाह के
"लहिति" म थाय तो ५५ " तत्थवि य" ते सो "अणारिया" मनाय" श्वेच्छ, श४, यवन यातिमा भवति " उत्पन्न थाय छे. " नीचकुल समुप्पण्णा" ते मनाया नीया गाना डाय छे. “ आरियजणेवि" ने तसा हाय मगध आदि माय भूमिमा म पामे छ तो तसा त्यां" लोयवज्झा"समानामा-यां माहि निहित नायगोमा उत्पन्न थाय छे. त्यां तो सह तिरस्कृत थया ४२ छ. “ तिरिय भूयाय" विवीन पाने કારણે તેઓ તે મનુષ્ય નિમાં હોવા છતાં પણ તિર્યંચ જેવાં જ હોય છે, 'अकुसला" वस्तु तथा तेम। ( नलिइ.) AM २९ छ, “ कामभोगतिसया " २५६, भ, २स, अध, २५श माह लागाभा असत २ छ. "ज" टोमा अगामा मनुष्य अप पान्या छतi ५५ " निरयवत्तणी" न२४ गमनना २४भूत " भवप्पवंचकरणपणोल्लि" ल५ ५२२५२१३५ प्रपा प्रतx, तथा
For Private And Personal Use Only