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सुदर्शिनी टीका अ० २ सू० ५ द्वितीय भावनास्वरूपनिरूपणम्
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शास्त्रविरुद्धां कथां वार्तां कुर्यात्, ' कलहं वेरं विगहूं ' कलहं वैरं विकथां च कुर्यात्, तथा-' सच्चं ' सत्यं = सद्भूतार्थं 'होज्ज ' हन्यात् = नाशयेत्, 'सील' शीलं = सदाचारं हन्यात्, 'विजयं ' विनयं विनीतभावं हन्यात् । तथा-क्रोधयुक्तो मानवः ' वेसो ' द्वेष्यः - सर्वेषामप्रियो ' भवेज्ज ' भवेत् तथा - ' वत्थं ' वास्तु = गृहं, दोषगृहं = दोषपात्रं ' भवेज्ज' भवेत्, तथा - ' गम्मो ' गम्यः अनादरस्थानं भवेत् तथा - ' बेसो वत्युं गम्मो द्वेष्यो वास्तुगम्य एतत्त्रितयोऽपि भवेत् । ' एयं ' एतत्=पूर्वोक्तम्, 'अन्नं ' अन्यच्च ' एवमाइयं ' एवमादिकम् =
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भी ठान देता है, (वेर करेज्जा ) दूसरों से शत्रुता भी कर लेता है, तथा ( विगहं करेज्जा ) जो कथा शास्त्र से विरुद्ध होती है उसे भी कह देता है । तथा ( कलहं वेरं विगहं करेज्ज) कलह वैर और विकथा, इन तीनों को भी करता है। तथा ( सच्चं हणेज्ज ) सत्य - सद्भूत अर्थ का अपलाप कर देता है। तथा ( सीलं हणेज्ज ) शील-स - सदाचार नष्टकर देता है, (वियं हणेज्ज) विनीत भाव को धिक्कार देता है । तथा ( सच्चं सीलं विषयं हणेज्ज ) सत्य शील और विनय, इन तीनों को नष्ट कर देता है । तथा (वेसो भवेज्ज ) जो मानव क्रोध से युक्त होता है वह दूसरो को अप्रिय बन जाता है, ( वत्युं भणेज्ज ) द्वेष पात्र बन जाता हैं और ( गम्मो भवेज्ज) सब के अनादरणीय होता है । (वेसो वत्युं गम्मो भवेज्ज) यह दूसरों को अप्रिय द्वेषपात्र और अनादर इन तीनों का स्थान बन जाता है। इन पूर्वोक्त वचनो को तथा ( एवं अन्नं च एवमाइयं) इसी प्रकार के और भी दूसरी तरह के असत्य
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करेज्ज ” परस्परमां वाग्युद्ध पशु वहोरे हे " वेर' करेज्जा " मील बोअ साथै शत्रुता परे छे, तथा “ विगहूं करेज्जा ” તથા જે કથા શાસ્ત્રની विरुद्ध होय छे ते पशु अरे छे. तथा " कलह, वेरं विगहं करेज्ज "" उसले, वैर याने विस्था मे त्र उरे छे तथा "सच्चं हणेज्ज" सत्य - यथार्थ' अर्था अपलाय उरी नाचे छे, “ सील हणेज्ज " शीस-सहायारनो नाश नाथे छे, " विषय हणेज्ज ” विनीत लावने धिरे छे, तथा सच सीलं विणयं हज्ज ” सत्य, शील भने विनय से त्राने नष्ट हरी नाथे छे. तथा भवेज्ज " ? मानव अधयुक्त भने छे ते मीलने सप्रिय थाय छे, 66 वत्थु भवेज्ज " द्वेषपात्र मनेो मने " गम्मो भवेज्ज " जघाने भाटे मनाहश्यात्र मने छे. dar arr गमो भवेज्ज " ते जीनने अप्रिय द्वेषपात्र भने मना દરપાત્ર એ ત્રણેનું સ્થાન બને છે. એ પૂર્વોક્ત વચના તથા एवं अन्न च
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66 वेसो
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