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सुदर्शिनी टीका अ0 ४ सू० २ अब्रह्मनामानि तल्लक्षणनिरूपणं च ३९९ चिन्ता-चिन्तनम् २०, कामभोगमारः कामभोगमाररूपम्-कामरूपं, भोगरूपं, माररूपं, चेत्यर्थः २१, 'वेर' वैरं शत्रुत्वोत्पादकत्वात् २२, ‘ रहस्सं ' रहस्यम् -एकान्तसम्पादनीयत्वात् २३, ‘गुज्झं ' गुह्यं गोपनीयत्वात् २४, 'बहुमाणो' बहुमाना=बहु-अतिशयेन मानः आदरो यस्मिन् प्राणिनां सः२५,'बंभचेरविग्यो' ब्रह्मचर्यविघ्नं ब्रह्मचर्यस्य विघातकत्वाद् विघ्नः विघ्नभूतः २६, 'बावत्ती' व्यापत्तिः विनाशः आत्मगुणविनाशकत्वात् २७, 'विराहणा' विराधना-चारित्रधर्मस्य विराधकत्वात् २८, 'पसंगो' प्रसङ्ग स्त्रीपुंससंयोगः २९, कामगुणः = शब्दादिविषयभोगजनकत्वात् ३० “त्ति विय' इत्यपि च त्रिंशत्तमं नाम । का उनके रूप लावण्य आदि का चिन्तवन होता है इसलिये इसका नाम रागचिन्ता है २० । यह कामरूप, भोगरूप और भाररूप होता है इसलिये इसका नाम कामभोगभार हैं २१ । इसके निमित्त से जीवों में परस्पर शत्रुता उप्तन्न हो जाती है इसलिये इसका नाम वैर है २२ । यह कर्म एकान्त में किया जाता है इसलिये इसका नाम रहस्य है २३ । यह सदा गोपनीय होता है इसलिये इसका नाम गुह्य है २४। इसमें प्राणीयों को अतिशय आदर भाव-सेवन करने में लालसा-रहता है, इसलिये इसका नाम बहुमान है २५ । यह ब्रह्मचर्य व्रतका विघातक होता है इसलिये इसका नाम ब्रह्मचर्य विघ्न है २६ । आत्मगुणों का इसमें विनाश हो जाता है इसलिये इसका नाम व्यापत्ति है २७ । चारित्र धर्मका यह विराधक होता है इसलिये इसका नाम विराधनाहै २८ । इसमें स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर को संयोग होता है इसलिये इसका नाम प्रसंग है २९ । शब्दादिक विषयों में यह भोगने की रूचिका जनक होता है इसलिये इसका नाम कामगुण है ३० । इस तेनु नाम " रागचिन्ता" छ, '२१' ते भ३५, ३५ भने भा२३५ डाय छे, तेथी तेनु नाम "कामभोगमार" छ '२२ तेने राणे ४वामा ५२२५२ दुश्मनाक्ट पेहो थाय छ, तेथीतेनु नाम "वैर" छ '२३ ते ४ तमा ४२॥तु उपाथी तेनु नाम “ रहस्य “छ, २४ ते सहा गोपनीय होय छे. तेथी तेनु नाम गुह्यं" छे, २५ तेना प्रत्ये प्राणीमाने अत्यत मालासाससा २ छ, तेथी तेनु नाम. “बहुमान" छ, '२६ ते ब्रह्मय प्रतनु विधात तोवनार' पाथी तेनु नाम" ब्रह्मचर्यविघ्न " छ २७ तेना सेवनथी मात्मशुगोनी नाश थाय छ, तेथी तेतुं नाम "व्यापति" छे (२८) ते यात्रियमन विरा५४ पाथी तेनु नाम "विराधना" छे. (२८) तेमां स्त्री तथा घुसपना शरीरनी सयोगाय छ, तेथी त नाम "प्रसंग” छ ३०' शहा विषयान। पागनी सचिनु न पाथी तेनुं नाम “कामगुण" छे, मा
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