________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रश्नव्याकरणसूत्रे यमई' महामोहमोहितमतयः-महामोहेन-प्रकृष्टोदयचारित्रमोहनीयेन मोहिता मतिर्येषां ते तथोक्ताः, 'तमोसंधयारे' तमिस्रान्धकारे, तमिस्रा रजनी तद्वद् योऽन्धकारो आज्ञानान्धकारस्तस्मिन् 'तस थावरसुहुमबायरेसु' सस्थावरसूक्ष्मबादरेषु तया ' पज्जत्तमपज्जत्तग एवं जाव' पर्याप्तापर्याप्तक एवं यावत् अत्रयावच्छब्दादिदं संग्राह्यम्-पर्याप्तापर्याप्तकसाधारणप्रत्येकशरीरेषु तथा-अण्डज पोतज -रसज-जरायुज-संस्वेदजोद्भिजोपपातिकेषु नारकतिर्यगदेवमनुष्येषु यथासम्भवं जरामरणरोगबहुलेषु पल्योपमसागरोपमाणि यावत् आनादिकमनवदग्रं दीर्घमध्वानं चातुरन्तसंसारकान्तारं 'परियटुंति' पर्यटन्ति । ' एसो सो' एप सः (मयामोहमोहियमई ) उनको मति प्रकृष्ट चारित्र मोहनीय कर्म के उदय से मोहित बनी रहती है। इससे वे न तो एकदेशरूप चारित्र अंगीकार कर सकते हैं और न सकलरूप चारित्र ही । अतः ऐसे प्राणी (तमोसंधयारे ) रात्रि के गाढ अंधकार जैसे अज्ञानान्धकार में ही पड़े रहते हैं । (तसथावर मुहुमयायरेसु ) और प्रस, स्थावर, सूक्ष्म, बादर इनमें तथा ( पज्जत्तमपज्जत्तग) पर्याप्तक अपर्याप्तक ( एवंजाव) इसी प्रकार यावत् शब्द से साधारण प्रत्येक शरीर इन जीवों में तथा अंडज, पोतज, रसज, जरायुज, संस्वेदज, उद्भिज्ज जीवों में एवं औपपातिक देव और नारकियों में (परियति ) जन्म मरण करते हैं। स्पर्शन, रसना, घाण, चक्षु और कर्ण ये पांच इन्द्रियां जिन जीवों में होती हैं वे बस हैं। बस नामकर्म के उदय से यह पर्याय जीवों को प्राप्त होती है। सिर्फ एक स्पर्शन इन्द्रिय जिन जीवों में होती है वे ३पी ४२मा प्रवेश परीने “ महया मोहमोहिय मई " तेमनी मति प्रष्ट ચારિત્ર મહનીય કર્મના ઉદયથી મેહિત થયેલી રહે છે. તેથી તેઓ અંશતઃ ચારિત્ર અંગીકાર કરી શકતા નથી અને સકલરૂપ (સંપૂર્ણ) ચારિત્ર પણ अभी१२ री शत नथी. तेथी सेवा वो " तमोसधयारे" रात्रिना गाढ म५४२ २३॥ २॥ज्ञाना-५२मा ५४या २६ छ, “ तसथावरसुहमवायरेसु” भने त्रस, स्था१२. सूक्ष्म, अरे मामा, तथा "पज्जत्तमपज्जत्ता " पर्या, अपर्या, “एवं जाव' के प्रमाणे यावत् २०७४थी साथ।२९ प्रत्येशरीर योम'; तथा २५४, पात।, २०४, सयुभ, सहन, अEिare wवामा भने यो५५तिः ३२ मने नारीमामा "परियति" परिश्रम કર્યા કરે છે. જન્મ મરણ કર્યા કરે છે. જે જીવેને સ્પર્શન, રસના, વ્રણ, ચક્ષુ અને કર્ણ એ પાંચ ઈન્દ્રિયે હેય છે તેમને બસ કહે છે સ નામ કર્મના
For Private And Personal Use Only