________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
D
३४४
प्रश्नव्याकरणसूत्रे कोत्कीर्णमूर्धनाः कुसुम्भकेनरागविशेषेण उत्कीर्णाः व्याप्ता मूर्धजाः केशा येषां ते तथा रक्तरागरञ्जितकेशधारिण इत्यर्थः, 'छिण्णजीवियासा' छिन्नजीविताशाः
जीवनाशारहिताः 'घुण्णता' घूर्णमाना=मरणभयव्याकुलत्वात् 'वज्झपाणप्पिया वध्यप्राणप्रियाः अध्याहन्तव्या एव प्राणाः प्रियाः येषां ते तथा, ' तिलं तिल चेव छिज्जमाणा' तिलं तिलमिवछिद्यमानाः राजपुरुषैः प्रत्यङ्गोपाङ्गं त्रोटयमाना इत्यर्थः, ' सरीर विकत्तलोहिओलित्तकागणिमंसाणि खावियंता' शरीरविकृत्तलोहितावलिप्तकाकणी मांसानि खाद्यमानाः, तत्र-चौरस्येव शरीराद् विकृत्तानि खण्डितानि लोहिताबलिप्तानि यानि काकणी मांसानि-मांसखण्डानि तानि खाद्यमानाः राजपुरुषैः शस्त्रादिकर्तितस्वमांसखण्डानि खाद्यमाना इत्यर्थः, 'पावा' पपााः केश संस्कारित किये जा सकें (कुसुंभमुकिण्णमुद्या ) ( कुसुंभग) कुस्सुम्भ रंग से ( उकिण्णमुद्धया ) इनके केश रंजित कर दिये जाते हैं। (छिन्नजीवियासा ) ये विचारे अपने आपको मानने लगते हैं कि अब हम थोड़ी देर में ही मरने वाले हैं, अतः इनके जीवन की आशा टूट जाती है । (घुण्गंता ) मरणभय से व्याकुल होने के कारण इनका दिमाग चिक्कर खाने घूमने लग जाता है। ( वज्झपाणप्पिया ) इन्हें वध्य-मारे जाने वाले अपने प्राग ही बड़े प्रिय होते हैं । अर्थात् उस समय इन्हें कोई भी वस्तु प्रिय नहीं होती है, केवल अपने प्राण हो-जो कुछ देर बाद नष्ट हो जानेवाले हैं सबसे अधिक प्रिय लगते हैं । (तिलं तिलं चेव छिज्ज. माणा) राजपुरुष इनके अंगोपांगों को तिल तिल की तरह काट २ कर अलग २ कर डालते हैं। (सरीरविकत्तलोहिओलित्तकागणिमंसाणि खावियंता ) वे राजपुरुष ( सरीराविकत्त ) काटे गये इनके शरीर से निकले हुए ( लोहिओवलित्त ) लोही से लिप्त ऐसे ( कागणिमंसाणि) मांस के छोटे छोटे टुकड़ों को (खावियंता) उन्हें खिलाते हैं (पावा) २या “ उक्किण्णमुद्धया" तेमना वाण २७ नम आवे छ. “ छिन्नजीवियासा" ते मिया सम तय छ । ३. अभे थे। सभयना महमान छीमे, मेटले तेमनी सवानी माश! तूट नय छ घुण्णंता " भातना लयथी व्या थवाथी तमना भगत २५२ २७२ धूभा सागेछ "वज्झपाणप्पिया" તેને વધ્ય–જેને વધ થવાને છે તેને પિતાના પ્રાણ જ સૌથી વહાલા લાગે છે, એટલે કે તે સમયે તેને બીજી કઈ પણ ચીજ ગમતી નથી, પણ ચેડા સમય પછી જેને નાશ થવાને છે તે પ્રાણુ જ સૌથી વધારે પ્રિય લાગે છે. " तिलंतिलं चेव छिज्जमाणा" २० पुरुषो तो तेमन A Guiगाना तस त २१ २४८ ४२ छ " सरीरविकत्तलोहिओलित्तकागणिमंसाणिखादियंता " તે રાજપુરુષ લેહીથી ખરડાયેલા માંસના નાના ટુકડાઓ તેમને ખવ
For Private And Personal Use Only