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प्रश्नव्याकरणसूत्रे क्लान्ताः लानाः ' कासंता' काशमानाः काररोगेण खू खू' इति शब्दायमानाः 'वाहिया य ' व्याधिताश्च-कुष्ठादिविविधरोगपीडोताः, 'आमाभिभूयगत्ता ' आमाभिभूतगात्राः आमैः = मुक्तानाऽपरिपाकजनितैरतीसारादी नानारोगैरभिभूतानी गात्राणि शरीराणि येषां ते तथा । 'परूढनहकेसांसुरोमा' प्ररूढनख शमश्रुरोमागः, तत्र प्ररूढाः । असंस्कारात् प्रद्धाः नखाः केशाः श्म श्रूणि=मुखजातानि 'दाही' इति भाषा मसिद्धानि रोमाणि च येषां ते तथा 'मलमुत्तम्मि णियगम्मि खुत्ता' निजके मलमूत्रे खुत्ता स्वकीये पुरीषमूत्रे खुत्ता'निमग्नाः 'खुत्ता' इति देशी शदः, कारागारे बद्धाः अन्यत्र गन्नुमशक्यत्वात् स्वकृत. मलमूत्रपुरीषपङ्कएव निमग्नास्तिष्ठन्त्यद तग्राहिण इत्यर्थः। तथा अकामगा' अकामकाः = मरणे छारहिताः 'तत्थेव मया तत्रैव कारागृहे मृताः सन्तः है । ( मलिण ) ये मलिन वदन एवं ( दुयला ) शक्तिविहीन बने रहते हैं। ( किलंता ) ग्लान रहते हैं । तथा ( कासना ) काशरोग से "खूखू" इस प्रकार का शब्द इनके सुख से निकलने लगता है। और ( वाहिया य ) कुष्ठादि विविध रोगों से ये पीडित होते हैं (आमाभिभूयगत्ता ) इनका शरीर अतिसार आदि नाना प्रकार के रोगों का घर बन जाता है । ( परुडमहकेसमंजुरोमा) नख, केश, तथा श्मश्रु-दाढी के बाल समारे नहीं जाने के कारण बहुत बढ़ जाते हैं। और (नियगम्मिमलमुत्तम्मि ) इनकी हालत अधिक गंभीर बन जाती है कि जिससे कारागार में बद्ध ये विचारे अन्य जगह जाने में असमर्थ होने के कारण अपने ही मलमूत्र में (खुत्ता) भरे हुए पड़े रहते हैं। तथा (अकामगा) नहीं इच्छा होने पर भी (तत्थेव) उसी में पड़े पड़े वहीं पर ( मया) २ वस्तुनी ४२७ ४२ ते पस्तु तेमने भगती नथी. “ मलिण " ते सो भलिन पहन वाण तथा "दुब्बला" शति विनान! 45 छ, “किलंता" सानियुटत २९ छ, तथा " कासंता" ५२सने २d “भू-भू” यो ४२i डाय छे. अने "६.हियाय " ते all id मा भने २ौथी पीdi जय . “आमाभिभूयगत्ता" तेभनi शरीर भतिसार माह विविध
शगान ५२ मनी तय छ, “परूढनहकेसमंसुरोमा" नग, A तथा दीना पास नहीं पाता डावाथी घ २४ qधीय छ भने " नियगलम मलमुतम्मि" भनी डासत मेवी मीर थ६ नय छ , २मा पूरायेदाते લેકે બીજી જ યાએ જવાને અસમર્થ હોવાથી પિતાના જ મળમૂત્રમાં "खना" म २७ छ. तथा “ अकामगा" रिछा ना छतi ५५ " तत्थेव" त्यir ५७॥ ५४॥ " मया " भरीय छे. त्यार साह "बंधि
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