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प्रश्नव्याकरणसूत्रे क्षणानिबासीभिः काष्ठस्येव गात्रक्षोलनानि, विमानानि गालीपदानादिभिर्विविधरीत्याऽपमानकरणानि तथा ' खारकड्डयतित्तनावण जायणकारणसयाणि ' क्षारकटुकतिक्तनावणयातनाकारणशतानि = तत्र क्षाराणि सर्जीक्षारादीनि कटुकानिनिम्बादीनि तिक्तानि च-मरीचादीनि तेषां ' नावणं' इति मुखनासिकादौ प्रक्षेपणं, तदादीनि यानि यातनाकारणशतानि-विविधवेदनाकारणशतानि तानि 'बहुयाणि ' बहुकानि 'पावियंता' प्राप्नुवन्तः, 'उरघोडीदिण्णागाढपेल्लणअढिकसंभग्गसपंसुलिया ' उरोघोटीदत्तगाढप्रेरणसंभग्नास्थिकसपंशुलिकाः = तत्र उरसि-वक्षःस्थले दत्ताः स्थापिताः या घोटी 'घोडी ' इति प्रसिद्धं महाकाष्ठं तस्या गाढम् अत्यर्थ यत्प्रेरण-घर्षणपूर्वकं सञ्चालनं तेन संभग्नानि त्रुटितानि
उनके शरीर को छीलते हैं और विमानन गाली आदि से उनको अपमानित करते हैं । (खारंकडुयतित्तनावणजायणकारणसयाणि) ( खार) मुख नासिका आदि में सर्जी क्षार आदि क्षार पदार्थों का ( कडुय)
आदि कटुक पदार्थों का एवं (तित्त) मरीचि आदि तिक्त पदार्थों को चूरण (नावण) प्रक्षिप्त किया जाता है, (जायणकारणसयाणि ) इत्यादि रूपसे (कारणसयाणि) वेदना प्रदानके जितने भी सैकड़ों प्रकार हैं उन सबका उन द्रव्य हरण करनेवाले चोरोंपर प्रयोग किया जाता है । इस तरह (बहु. याणि) बहुत प्रकारकी घोरातिघोर वेदनाको (पावियंता) प्राप्त हुए वे जीव (उरघोडीदिण्ण गाढ पेल्लण अहिक संभग्गसपंसुलिया) (उरघोडी) जब उनके वक्षःस्थल पर बहुत अधिक बोझवाली काष्ट की घोड़ी (दिण्णगा. ढपेल्लण ) इधर से उधर खेचकर फिराई जाती है इससे (अट्ठिकसंभणणाणि" qixen माहियो तमना शरीरने छ। छ, भने । भाटिया तेभने अपमानित ४२ छ. “ खारकडुयतित्तनावणजायणकारणसयाणि" "खार" भुभ, ना3 भाभिi सामा२ मा क्षार युत पानी " कडुय" લીબળી આદિ કડવા પદાર્થોની, અને “તત્ત’ મરચાં આદિ તીખાં પદાર્થોની भूडी " नावण' नामi -पावे छे, “जायणकारणसयाणि ” त्यात પ્રકારની પીડા પહોંચાડવાની જે સેંકડો પદ્ધતિ છે, તે બધીને તે દ્રવ્ય २९५ ४२॥२॥ यो। ६५२ प्रय।। ४२वामां आवे छे, मा शत “ बहुयाणि" भने ४२ लय'४२मा नय४२ वेहनायो " पावियंता" ते सो मनुमने छ. " उरघोडीदिण्णगाढपेल्लणअट्टिकसंभम्गसपंसुलिया " " उरघोडी " न्यारे
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