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सुदशिनी टीका अ० ३ सू० १३ चौराः किं फलं प्राप्नुवन्तीतिनिरूपणम् ३२५ मर्दनपूर्वकमुर्वाधः करणादीनि तैविहेड्यमाना इति पूर्वेण सम्बन्धः । तथा 'संबद्धा' संबद्धाः रज्ज्वादिभिदृढंबद्धाः सन्तः 'नीससंता' निःश्वसन्तः निश्वासं विमुश्चतः 'सीसावेढउरुयालवप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागमइआकोडणाणि' शीवेष्टनोरुदारबप्पडसंधिबन्धनतप्तशलाकामूच्याकुट्टनानि-शीर्षावेष्टनं आर्द्रचर्मादिभिः शिरोबन्धनमूरुदारा जङ्घाविदारणं चप्पडगसन्धिबन्धन=' चप्पडग' इतिकाष्ठयन्त्रविशेषस्तेषां काष्ठयन्त्रविशेषाणां सन्धिस्थानेषु जानुकूपरादिषु बन्धनं, तथा तप्तानां शलाकानां लोहकीलकानां मूचीनां च-अतीतानामाकुट्टनानि-शरीरे प्रवेशनानि यानि तान्येतानि, तथा-' तच्छणविमाणणाणि' नक्षणविमाननानि-यासिभिस्तकंडग ) इनके वक्षस्थल की तथा पृष्ठभाग हड्डियां कंपित होने लग जाती हैं । (मोडणेहिं ) बार २ इन चोरों का वे कोतवाल लोग मर्दन करते हैं बार २ ऊँचे नीचे उठाते बैठाते हैं, इस तरह से बहुत दुःखित करते रहते हैं । (संवद्धा ) रज्ज्वादिक से ईन्हें बहुत ही दृढ़ता के साथ हाथ पैर आदि अवयवों में बांध देते हैं ( नीससंता) इस कारण जोर २ से हाँफने लग जाते हैं । (सीसावेढउरुयाल-वप्पडसंधिबंधणतत्तसलाग सूह आकोडणाणि) (सोसावेढ) गीले चमड़े आदि से इनका शिर बांध दिया जाता है, (उरुयाल ) ऊरुदार-जधाएँ इनकी इतनी अधिक चौड़ी करवाई जाती हैं कि जिससे उनका विदारण (तूट जाना) हो जाता है। (चप्पडगसंधिबंधणा) जानुकूपर (कोणी) आदि संधि स्थानोंमें एक प्रकारके काष्ठयंत्र बांध दिये जाते हैं तथा ( लोहसलाग ) शरीरमें तप्तलोहे की शलाईयों से दाग दिये जाते हैं और ( सूई आकोडणाणि ) गरम लोहेकी सूईयां उसमें प्रविष्ट की जाती हैं, तथा ( तच्छणविमाणणाणि ) वमूला आदिसे तेभनी छाती तथा पाना । ४५qा दागे छ, “ माडणेहिं " ते योशेर्नु તે કેટવાળે વારંવાર મર્દન કરે છે. તેમને વારંવાર ઊઠ બેસ કરાવે છે, અને मेरीते तेने गई हुम छ, “संबद्धा" तमना हाय माहि अवय वान हो२i माह 43 भरभूत रीते मांधी वामां आवे छे, "नीससंता" ते ॥रणे ते भिन्यास ia. 1य छे. “सीसावेढ" लीनां या माहिथा तभन शि२ ४ांधी छ, “ उरुयाल" तेमनी मटकी मधी पहाणी ४२वामा मा छे 3 ते २ तेभनु वि.२९५ थाय छ, “चप्पडगसंधिः बधणा" ननु प२ ( गुहा ) मा सांधावाजी व्यायामा ४ प्रानi ४।०४ मांधी वाम मा छ, तथा “ लोहसलाग” तपास सोढाना सनियामा परे शरी२ ५२ म वाम मा छ, भने “सूइआकोडणाणि" १२म अरेसी सोटानी सोयो शरीरमा वामां मारे छ, तथा “तच्छण विमा
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