________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सुदर्शिनी टीका अ० १ सू० २१ मन्दबुद्धिया कानूर जीवान् धनन्ति ?
૮૩
मधुघाता:= 'मधु' ग्रहणेन तन्मक्षिका घातकाः 'पोयधाया' पोतयाता = पक्षिशिशुहिंसकाः 'एणीयारा' एणीचारा - एणीं हरिणीं चारयन्ति = पालयन्ति अन्यान् मृगान् गृहीतुं ये ते एणीचाराः, 'पएणीयारा' मैणीचाराश्व व्याधविशेषा एव । 'सरदहदी हियतला गपल्ललपरिगालणमलणसोत्तबंधणसलिलासयसोसगा ' सरोद्रह दीर्घिका तडाग पल्वल परिगालन मलन स्रोतोबन्धन सलिलाशयशोषकाः, तत्र - सरः=सामान्यजलाशयः, इदः = अगाधजलाशयः, दीर्घिका=वापी, तडागः = प्रसिद्धः, पल्वलं = अल्पसरः, एतेषां परिगालनेन = मत्स्यादि ग्रहणाय जलनिस्सारणेन, मलनेन मन्थनेन, स्रोतोबन्धनेन - जलमवाहनिरोधेन च 'सलिलाशयान् जलाशयान् शोषयन्ति ये ते तथाभूताः, विसगरस्सय विपगरस्य च विप=प्रसिद्धं, गरः = संयोगजनितं विपं, तयोः समाहारे तस्य 'दायगा' दायकाः जीवोपघातार्थं विष
मधु - शहद को लेने के लिये जो मधुमक्खियों का घात कर देते हैं वे, ( पोयघाया) पोतघातक पक्षियों के बच्चों को मारने वाले, तथा (एणीयारा) जो मृगों को पकड़ने के अभिप्राय से मृगी - हरिणी को पालते हैं वे, तथा (पणीयारा ) जो प्रैणीचार - व्याधविशेष होते हैं वे, तथा(सर- दह - दीहिय-तलाग-पहल- परिगालण-मलण-सोत्तबंधण सलिलासयसोसगा ) जो सर सामान्य जलाशय, द्रह अगाधजलाशय, दीर्घिका - वापी, तडाग, पल्वल - छोटाजलाशय, इनके जल को मत्स्यादि ग्रहण करने के अभिप्राय से जो निकाल देते हैं, तथा इनके जल का जो मन्धन- विलोडन करते हैं, अथवा इनमें जिन स्रोतों से जल आता हैं उन्हें बंद कर देते हैं, इस तरह से जो सलिलाशयों को सुखा देते हैं वे, तथा (विसगरस य दायगा ) विष - हलाहल जहर, गर-संयोग जनित
66
भधभाभीयोनी डिसा रे छे ते, " पोयवाया " पोत घात - पक्षीमोनां मभ्याने મારનારા તથા एणीयारा " ने भृगोने पम्डवाने भाटे भृणी-हुरिलीने पाणे છે તે લેાકા, તથા ،، पइणीयारा " ने पैलीयार ! प्रारना व्याध - होय छे ते, तथा "सर, दह, दीहिय, तलाग, पल्लल, परिगालण, मलण, सोतबंधण, सलिलासयसोसगा " ने सर-सामान्य नजाशय हृद - अशाध भणाशय, दीर्घिका - बाबू, तझाव, पल्वल - नानुं नाशय, वगेरेना पालीने भाछसां वगेरे भड કરવાના હેતુથી બહાર કાઢી નાખે છે. તથા તેના જળનું ને મન્થન કરે છે. અથવા તેમાં જે સ્ત્રોતો દ્વારા પાણી આવતું હોય તે સ્રોતાને બધ કરી દે છે. या रीते ? सोओ भाशयाने सूक्ष्वी नाचे छे.ते बोओ तथा " विसगरस्स य दायगा " विष-हजाइज ओर, गर-संयोग-नित विष आदिलवाने भारी
For Private And Personal Use Only