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মান্ধ रोगादिभिर्विकृत नेत्राः, 'संचिल्लया' सञ्चिलकाः विपटनेत्राः 'वाहिरोगपीलिय' न्याधिरोगपीडिताः व्याधिभिः=कुष्ठादिभिः, रोगैश्व-कासवासादिभिः पीडिताः 'अप्पाउ य' अल्पायुष्काः ' सत्थवज्झ ' शस्त्रवध्याः-शस्त्रप्रयोगेण मरणशीला:, बालाः बुद्धिरहिताः, 'कुलक्खणुक्किनदेहा' कुलक्षणोत्कीर्णदेहाः कुत्सितलक्षणे
याप्तशरीरा:-शुभरेखादिवर्जिता इत्यर्थः, 'दुबल' दुर्वला: बलहीना.. 'कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया ' कुसंहननकुपमाणकुसंस्थिताः - कुसंहननाः = कुत्सितं संहननं अस्थिरचनाविशेषो येषां ते तथा, कुपमाणाः कुत्सितं शरीरस्य प्रमाणमतिलम्बातिहस्वादिलक्षणं येषां ते तथा, कुसंस्थिताश्व-कुत्सितसंस्थानाः एतेषां द्वन्द्वः 'कुरूवा' कुरूपा रूपवर्जिताः 'किविणा' कृपणाः दरिद्राः, दानशक्ति
आंखों में कोई न कोई खराबी रहती है, (संचिल्लिया ) संचिल्लक होते हैं. उनके नेत्र चपटे होते हैं, ( वाहिरोगपीलिय ) व्याधि और रोग से पीडित रहते हैं-वे कुष्ठ आदि व्याधियों से, कास श्वास आदि रोगों से सदा पीडित रहते हैं, ( अप्पाउय ) अल्पायुवाले होते हैं, ( सत्थवज्झ ) शस्त्र प्रयोग से इनकी मृत्यु होती है, (पाला ) बुद्धि रहित होते हैं, ( कुलक्खणुक्किन्नदेहा ) खोटे २ लक्षणों वाले होते हैं, अर्थात्-शुभ रेखाओं से वर्जित होते हैं, (दुब्बल ) दुर्बल-बल हीन होते हैं, (कुसं. घयण ) इनका संहनन-अस्थियों की रचना ठीक ठीक नहीं होता है, (कुप्पमाण ) शरीर का प्रमाण भी योग्य नहीं होता है, या तो वह अत्यंत लंबा होता है या अति हूस्व होता है। (कुसंठिया ) संस्थान -आकार भी कुत्सित होता है । ( कुरूवा) सुन्दर रूप से रहित होते हैं। (किविण्णा ) दरिद्र होते हैं, अथवा-दान देने की शक्ति का इनके यहां “अंधयगा" भांध राय छ. मिथी ८ तेमनी मांगो दूटी गाय छ, "चक्खुविणिहया " यक्षु विनित हाय छ, तेमनी ममामा नआई भाभी २३छ, "संचल्लियां" साविस हाय छे. तेमन नेत्र २५i हाय छ, " वाहिगेगपीलिय" व्याधि भने रोगथी पीय ४३ छ-तमा ढ माहि व्याधियोथी, मांसी, म मा रोगार्थी पीया ४२ छ. “ अप्पाउय" टू भायुष्यवाणा डोय छे, " सत्थवज्ज्ञ " शवप्रयोगथी तेभर्नु भृगु थाय छे. "बाला" मुद्धि विनाना डोय छ, “ कुलक्खणुक्किन्नदेहा" ५२२५ सक्षणे डोय छ, मेले में सारी ३मा माथी २डित डोय छ, “ दुव्बल" - हीन होय छ, “कुसंघयण " तेभर्नु सनन-अस्थियोनी रचना-३२।५२ होती नथी, "कुण्पमाण" शरी२ प्रमाणुसरतुंडीतु नथी-sial ते मतिशय in होय छ मतिनीया होय छे. " कुसठिया " संस्थान-मा२ मा पy मेटाडोय. “ कुरूवा" सुदर ३५थी २डित डोय छे. “किविण्णा" हरित
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