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सुदर्शिनी टीका अ० १ सू० २० मंदबुद्धिया कान२ जीवान् जन्ति
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शान्ति, अर्था, अनर्थाय तदुभयतो नन्ति । हास्यात् वैरात् रतेन न्ति, हास्यवैररतिभ्यो नन्ति । किंभूताः सन्तो नन्ती ? त्याह 'क्रुद्धा इत्यादि । 'कुद्धा' क्रुद्धाः = क्रोधयुक्ताः, 'लुद्वाः' लुब्धा विषयगृद्धाः | 'मुद्रा' मुग्धाः = मोहवशाः नन्ति ।
है - वे भी इन त्रस स्थावर जीवों की हिंसा करते हैं । ( सवसा अवसा दुहओ हति ) तथा स्वतंत्र और परतंत्र दोनों प्रकार से होकर भी इन जीवों की हिंसा करते हैं । तथा ( अट्ठा हणंति ) ये जीव जीवों की हिंसा प्रयोजन से करते हैं और (अणट्टा हति) अनर्थ - बिना प्रयोजन के निरर्थक भी करते हैं (अट्ठा अणट्टा दुहओ हणंति ) कोई २ ऐसे भी जीव हैं। जो कुछ जीवों की हिंसा अपने स्वार्थ से करते हैं । और fears जीवों की हिंसा स्वार्थ न भी हो तो भी करते हैं। (हस्सा हति) संसार में ऐसे भी हिंसक जीव हैं जो जीवों की हिंसा हास्य के कारण ही कर डालते हैं, (वेरा हणंति ) कितनेक ऐसे भी हैं जो जीवों की हिंसा वैर के निमित्त को लेकर करते हैं । ( रई हणंति ) कितनेक ऐसे भी हैं जो रति-आमोद प्रमोदके निमित्त को लेकर जीवों की हिंसा करते हैं। (हस्सा वेरा रति हणंति ) कितनेक जीव ऐसे भी हैं जो एक ही साथ हास्य वैर और रति-आमोद प्रमोद के निमित्त को लेकर जीवों की हिंसा करते हैं। वे कैसे होकर हिंसा करते हैं- ( कुद्धाहति) कितनेक जीव ऐसे भी हैं जो क्रोधी होकर जीवों की हिंसा
सवसा अवसा दुहओ हणंति
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પણ એ ત્રસ સ્થાવર જીવાની હિંસા કરે છે, તથા સ્વતંત્ર અને પરતંત્ર, અન્ને પ્રકારથી યુક્ત થઇને પણ જીવાની હિંસા કરે छे तथा " अट्ठाहति” ते कवोनी हिंसा तेथे अर्थ सारे छे भने “ अणाहणंति ” अनर्थ - २५अर-निश्रेछे. " अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति" अर्ध सेवा पशु को होय छे ! भेगो डेंटलाई भयोनी डिसा पोताना સ્વાર્થને કારણે કરે છે અને કેટલાક જીવોની હિંસા સ્વાર્થ ન હાવા છતાં પણ २ छे. “हस्सा हणंति ” संसारमा सेवा उटलाई हिंसा वा पशु छे मेयो लवोनी हिंसा हास्य- मानहने भातर ४ २ छे. " वेरा हणंति " - લાક એવા પણ જવા છે કે જે જીવાની હિંસા વેરને નિમિત્તે કરે છે, “ हणंति” डेंटला मेवा पशु को छे ने रतिमाह प्रभोदने भातर वोनी डिसा रे छे "हस्सा वेरा रती हणंति " डेंटला लवो सेवा पशु छे से भेयो એક સાથે હાસ્ય, વેર અને રતિ-આમેાદ પ્રમેાદને નિમિત્તે જીવાની હિંસા કરે छे, तेथे देवी वृत्तिथी बोनी हिंसा रे छे ? " कुद्धा इणंति " डेटा ली
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