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पाइअसद्दमहण्णवो
अंतरेण-अंधार अंतरेण प्र[अन्तरेण] बीच में, मध्य में (स (कप्प)। वाहिणी स्त्री [°वाहिनी] क्षुद्र | अंदोलिर वि [आन्दोलित] झुलनेवाला (सुपा ७६७)।
नदी (ठा २, ३)। वीसंभ पुं[विश्रम्भ] ७८)। अंतलिक्ख देखो अंतरिक्ख (गाया १,१
हार्दिक विश्वास (हे १ ६०) । सल्ल न | अंदोल्लण देखो अंदोलण। चारु ७)। ['शल्य १ भीतरी शल्य, घाव (ठा ४)।
अंध वि [अन्ध] १ अन्धा, नेत्र-हीन (विपा अंति देखो पंति (से ६,६६)। २ कपट, माया (ोप) । साला स्त्री
१, १)। २ अज्ञान, ज्ञानरहित 'एए णं [शाला घरका भीतरी भाग, 'कोलालभंडं अंतिम वि [अन्तिम चरम, शेष, अन्त्य (ठा
अंधा मूढा तमप्पइट्ठा' (भग ७, ७)। अंतोसालाहितो बहिया नीणेई (उवाः पि
कंटइन्ज न [कण्टकीय अंध पुरुष के कंटक ३४३) । हुत्त वि ["मुख भीतर, 'अंताहुत्तं
पर चलने के माफिक अविचारित गमन करना अंतिय न [अन्तिक] १ समीप, निकट (उत्त
डज्झइ जायासुरणे घरे हलिअउत्तो' (गा १)। २ अवसान, अंत: 'अह भिक्खू गिलाएजा
(प्राचा)। तमन [तमस] निबिड अन्ध३७३)। पाहारस्सेव अंतिया (प्राचा १,८)। ३अन्तिम,
कार (सूत्र १, ५)। 'पुर न [पुर] नगरअंतोहुत्त वि[दे] अधोमुख, औंधा मुंह वाला | चरम (सूत्र २,२)।
विशेष (बृह ४)। (दे १, २१)। अंतीहरी स्त्री [दे] दूती (दे १, ३५)। नदी (अप)
स्त्रीवात,
अंध पुं[अन्ध] पांचवॉ नरक का चौथा
नरकेन्द्रक, एक नरक-स्थान (देवेन्द्र ११)। अंतेआरि वि [अन्तश्चारिन्] बीच में जाने- ४, ४४५) ।
। अंध पुं.ब. [अन्ध्र] इस नाम का एक देश . वाला, बीचक (हे १, ६०)। °अंद चन्द्र] १ चन्द्रमा, चांद 'पसुव
(पउम ९८, ६७)। अंतेउर न [अन्तःपुर] १ राजस्त्रियों का इणो रोसारुणपडिमासकतगोरिमुहअंदं (गा
अंध वि [आन्ध्र आन्ध्र देश का रहनेवाला निवासगृह । २ रानी, 'सणंकुमारो वि तेसि १)। २ कपूर (से ६, ४७)। राअ पुं
(पएह १, १)। .. वंदणत्थं संतेउरो गो तमुजाणं (महा)। (राग) चन्द्रकान्त मरिण ( से ६, ४७ )।
अंधंधु [दे] कूप, कुंआ (दे १, १८)। अंतेउरिगा। स्त्री [ आन्तःपुरिकी, '11 अंदरा स्त्री [ कन्दरा] गुफा ( से ,
अंधकार देखो अंधयार (चंद ४ । अंतेउरिया । अन्तःपुर में रहनेवाली स्त्री, ४७)। अंतेउरी । जी (उप ६ टी; सुपा २२८, अंदल पुं [कन्दल] वृक्ष-विशेष (से ७,
अंधग पु[दे] वृक्ष, पेड़ (भग १८, ४)।
वण्डि [वह्नि] स्थूल अग्नि (भग १८,४)। २८६)। २ रोगी का नाममात्र लेने से उसको नीरोग बनानेवाली एक विद्या (वव ५)।
अंदावेदि (शौ) देखो अंतावेइ (हे ४, अंधग देखो अंध (भग १८, ४)। वहि २८६)।
पुं [वह्नि सूक्ष्म अग्नि (भग १८, ४)। अंतेल्ली स्त्री [दे] १ मध्य, बीच । २ उदर,
अंदु ) स्त्री [अन्दु] शृंखला, जंजीर __ ण्ह (वृष्णि ) यदुवंश का एक राजा, पेट । ३ कल्लोल, तरंग (दे १, ५५)। . अंदुया ) (ोप, स ५३०)।
जो समुद्रविजयादि के पिता था (अंत २)। अंतेवासि वि [अन्तेवासिन् ] शिष्य (कप्प)।
अंदेउर (शौ) देखो अंतेउर (हे ४, २६१)। अंधय पुं [अन्धक] १ अंधा, नेत्रअंतेवुर देखो अंतेउर (प्रति ५७)। अंदोल अक [अन्दोल] १ हिंचकना, झूलना।
अंधयग) हीन (पएह १, २)। २ वानरअंतो प्र[अन्तर् ] बीच, भीतरः 'गामंतो + २ कंपना, हिलना । ३ संदिग्ध होना, 'अंदोलइ
वंश का एक राज कुमार (पउम ६, १८६)। संपत्ता' (उप ६ टी सुर ३, ७४) । खरिया । दोलासु व माणो गरुमोवि विलयाणं' (स
अंधयार पुंन [अन्धकार अंधेरा, अंधकार स्त्री [खरिका] नगर में रहनेवाली वेश्या ५२१)। वकृ. अंदोलंत, अंदोलिंत, अंदो- |
(कप्पः स ४२६)। पक्ख पुं[पक्ष] (भग १५)। गइया स्त्री [गतिका] लमाण (से ८,५१,११,२५; सुर ३,११६)।
कृष्णपक्ष (सुज १३)। स्वागत के लिए सामने जाना, 'सव्वाए अंदोल सक [अन्दोलय] कंपाना, हिलाना ।
अंधयारण न [अन्धकार] अन्धेरा (भवि)। विभूईए अंतोगइयाए तणयस्स' (सुर १५, वकृ. अंदोलंत (सुर ३, ६७)।
अंधयारिय वि [अन्धकारित] अंधकार१६१) । गय वि [गत] मध्यवर्ती, | समाविष्ट (उप ६८६ टी) । णिसणी अंदोलग पुं [आन्दोलक] हिंडोला (राय)। वाला (से १, १५, ५३)। स्त्री [निवसनी] जैन साध्वियों को पहनने अंदोलण न [आन्दोलन १ हिचकना, |
अंधरअ ! वि [अन्ध] अंधा, नेत्रहीन का एक वस्त्र (बृह ३)। दहण न __ भूलना (सुर ४, २२५)। २ हिंडोला । ३
अंधल 1 (गा ७०४ ; हे २, १७३)। [दहन] हृदय-दाह (तंदु)। मज्भाव- मार्ग-विशेष (सूत्र १, ११)।
| अंधलरिल्ली स्त्री [अन्धयित्री] अंध बनानेसाणिय पुंन । मध्यावसानिक] अभिनय अंदोलय देखो अंदोलग (सुर ३, १७५)। वाली एक विद्या (सुपा ४२८)। का एक भेद (राय)। मुहुत्त न [मुहूर्त] अंदोलि वि [आन्दोलिन् ] हिलानेवाला, | अंधार पुं [अन्धकार] अंधेरा (अोध १११, कम मुहर्त, ४८ मिनिट से कम समय | कंपानेवाला (गा २३७)।
। २७०)।
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