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प्रनव्याकरणस्ये कृष्णचटका,इसा-नीरक्षीरविवेचका पक्षिण: 'तरह धार्तराष्ट्रवाश्या मचरणचञ्चु हंसाः, 'भास' गासाः 'कुली कोस' कुठीकोगा =पतिविशेपा 'कु' क्रौञ्चाः क्रौञ्चपक्षिणः ये शरदि कती माधन्ति मधुर पनि च कुन्ति, 'दगतुड' दस्तुण्डाः, 'टेणियालग टेणिकालकाः, 'सूईमुह' सूचीमुखा 'कपिल' कपिला = पक्षिविशेपाः, "पिंगलक्खग' पिङ्गलाक्षा:-पिङ्गले अक्षिणी येपा ते पिङ्गलाक्षा:= पीतलोचनपक्षिणः 'कारड' कारण्ड कातक इति लोके प्रसिद्धाः, 'चपराग' चक्रवाका मसिद्धाः, 'उकोस' उकोशा-कुरराः कुरज पक्षिविशेषाः, 'गरुल' गरुडा पसिद्धाः 'पिंगल' पिगला रक्तशुका 'सुय' शुकारतमुखशुकाः, 'वरहिण' बर्हिगः-पिच्छधारिमयूराः 'मयणसाल' मदनशलाका!' मेना' इति भाषायाम् , 'नंदीमुह' नन्दीमुखाः, 'नदमाणग' नन्दमानकाच पक्षिविशेषा , 'कोरग' कोरड्का तन्नामकाः पक्षिणः 'भिगारग' भृङ्गारिकाः (दीविय ) दीपिका-कालीचिड़िया (हस) हस-नीरक्षीर को जुदा करने वाला पक्षी (उत्तर) धार्तराष्ट्रक-जिनके चरण और चोंच दोनों काळे होते हैं ऐसे हस ( भास) भास और (कुली-कोस) चुलीक्रोश पक्षिविशेष है (कुच ) क्रौंचपनी-जो शरद ऋतु में मदोन्मत्त होते हैं एव मधुर ध्वनि किया करते हैं (दगतुड) दगतुड (टेणियालग) टेणिकालक (मईमृह ) सूचीमुग्व (कविल ) कपिल, ये भी पक्षि विशेष है । (पिंगल क्वग) पिङ्गलाक्ष-पीलेनेत्रवाला एक जान का पक्षी (कारड) कारण्डकवतक (चकवाग) चक्रवाक-चकवा ( उक्कोस )उक्तोश-कुरर, (गरुल) गरुड (पिंगलसूय) पिंगलतोते, (सूय ) शुक-लालचांच वाले तोते ( बर. हिण) यहि-पिछोवाले मयूर (मयणसाल) मदनशाल-मैना (नदीमुह) नदीमुग्व ( नदमाणग) नन्दामानक, और (कोरग) कोरक इन नाम के हावियली "हस" स-नीरक्षीरने हा ४२ना३ पक्षी “धत्तर" धात शटर-मना य२१४ सने याय डाय छे तवा उस "भास" मास भने "कुलीकोस" मुसीकोश-पक्षीनी मास तो "कुच" होयपक्षी-२ ०२६-तुम! भहोन्मत्त थाय छ भने मधुर पनि ४ा ४३ छे “दगतुड" तु3, "देणियालग" are "सूईमुह" सूयाभुम "कविल" पिस मे पक्षीनी मास तो छ "पिंगलक्खग" पिसाक्ष-पी नेत्रवाणु मे तनु पक्षी "कार" ४१२७४
त "चफवाग" य१४-341 "उकोस" ओश-२२ "गहल" २"पिगल" पिस-सा पा५८ 'सुय" शु:-दास यायवाणी यापट "वरहिण" महिSinाजा भार "मयणसाल" महनशास-भेना “नदीमुह" नहीभुत "नद माणग" नन्हमान मन "कोर ग" १२४ नाभना पक्षी "भिंगारग" सभा