________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
प्रकरणम् ]
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
भाषानुवादसहितम्
प्रशस्तपादभाष्यम्
क्षित्युदकात्मनां चतुर्दशगुणवत्त्वम् ।
आकाशात्मनां क्षणिकैकदेशवृत्ति विशेषगुणवत्त्रम् । दिक्कालयोः पञ्चगुणवश्वं सर्वोत्पत्तिमतां निमित्तकारणत्वश्च । पृथिवी, जल और आत्मा इन तीन द्रव्यों का चौदह गुणों का सम्बन्ध साधर्म्य है ।
आकाश और आत्मा इन दो द्रव्यों का क्षणिक एवं अव्याप्यवृत्ति ( अर्थात् अपने आश्रय के किसी एक अंश में ही रहनेवाला) विशेष गुण साधर्म्य है ।
दिशा और काल इन दो द्रव्यों का ( संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग और विभाग ) ये पाँच गुण और सभी उत्पत्तिशील पदार्थों का निमित्तकारणत्व ये दो साधर्म्य हैं :
६५
न्यायकन्दली
क्षित्युदकात्मनां चतुर्दशगुणवत्त्वम् । क्षितेरुदकस्यात्मनां चतुर्दशगुणयोगः ।
आकाशात्मनra क्षणिकैकदेशवृत्तिविशेषगुणैः सह योगो विद्यत इत्याहआकाशात्मनामिति । विशेषगुणाः पृथिव्यादीनामपि सन्ति, तन्निवृत्त्यर्थमेकदेशवृत्तिग्रहणम् । ये च ते आकाशात्मनामव्याप्यवृत्तयो विशेषगुणास्तेषामाशुतरविनाशित्वञ्च स्वरूपमस्तीति क्षणिकसङ्कीर्त्तनं कृतम् ।
सङ्ख्यापरिमाणपृथक्त्वसंयोगविभागाः पञ्चैव गुणा दिशि काले च वर्तन्त इत्याह-दिक्कालयोरिति । न केवलमनयोः पञ्चगुणवत्त्वं साधर्म्यं सर्वोत्पत्तिमतां
For Private And Personal
पृथिवी, जल और आत्मा, इन तीन द्रव्यों का चौदह गुणों का सम्बन्ध साधर्म्य है । 'आकाशात्मनाम्' इत्यादि सन्दर्भ से कहते हैं कि आकाश में और आत्माओं में क्षणिक एवं 'अव्याप्यवृत्ति' (अपने आश्रय के किसी एक देश में रहनेवाले) विशेष गुणों का सम्बन्ध है । विशेषगुण पृथिवी प्रभृति द्रव्यों में भी हैं, अतः 'एकदेशवृत्ति' यह पद है । 'क्षणिक' पद का उपादान यह सूचना देने के लिए है जि आकाश और आत्माओं के जितने भी 'अव्याप्यवृत्ति' अर्थात् अपने आश्रय को व्याप्त कर न रहनेवाले विशेष गुण हैं, अतिशीघ्न नष्ट हो जाना ही उनका स्वरूप है ।
'दिक्कालयोः' इत्यादि से कहते हैं कि संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग और विभाग ये ही पाँच गुण दिशा और काल में रहते हैं । उक्त पाँच गुण ही इन दोनों के साधर्म्य १. रूप, रस, गन्ध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व और वेगाख्य तथा स्थितिस्थापक संस्कार ये चौदह गुण पृथिवी के हैं । इन्हीं चौदह गुणों में गन्ध के स्थान में स्नेह को रख देने से जल के चौदह गुण हो
Ε