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न्यायकन्दली संवलितप्रशस्तपादभाष्यम्
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[ गुणे विभाग
प्रशस्तपादभाष्यम्
यदा तस्यावयवान्तराद् विभाग करोति, न तदाकाशादिदेशात्; यदा वाकाशादिदेशाद् विभागं करोति, न तदावयवान्तरादिति स्थितिः । अतो
इनमें कारण मात्र के विभाग से उत्पन्न होनेवाले विभाग कर निरूपण करते हैं । वस्तुस्थिति यह है कि कार्य से सम्बद्ध अवयव में उत्पन्न हुई क्रिया जिस समय अपने आश्रयरूप अवयव द्रव्य में दूसरे अवयव से विभाग को उत्पन्न करती है, उस समय विभक्त अवयवों में आकाशादि देशों से विभाग को उत्पन्न नहीं करती, एवं जिस समय ( वही क्रिया) अवयवों में आकाशादि देशों से विभाग को उत्पन्न करती है, उस समय एक अवयव में
न्यायकन्दली
तत्र तेषु मध्येऽन्यतरकर्मजोभयकर्मजौ संयोगवत् । यथा क्रियावता निष्क्रियस्य संयोगोऽन्यतरकर्मजस्तथा विभागोऽपि । यथोभयकर्मजः संयोगो मल्लयोर्मेषयोर्वा तथा विभागोऽपि । विभागजस्तु द्विविध इति । तुशब्देनास्य पूर्वाभ्यां विशेषकथनम् । कारणयोविभागादेको विभागो भवति । अपरस्तु कारणाकारणयोविभागादिति द्वैविध्यम् ।
कारण विभागाच्च विभागः कथ्यते - कार्याविष्ट इत्यादिना । कार्येणाविष्टे व्याप्ते अवरुद्धे कारणे कर्मोत्पन्नं यदा तस्यावयवस्यावयवान्तराद् द्रव्यारम्भकसंयोगविनाशकं विभागं करोति, न तदा द्रव्यावरुद्धा
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'तत्र' अर्थात् उनमें अभ्यंतरकर्मज और उभयकर्मज ये दोनों 'संयोगवत्' हैं, अर्थात् जिस प्रकार क्रिया से युक्त एक द्रव्य का और क्रिया से रहित दूसरे द्रव्य का संयोग अन्यतरकमंज है उसी प्रकार ( निष्क्रिय एक द्रव्य के साथ क्रिया से युक्त दूसरे द्रव्य का ) विभाग भी ( अन्यतरकर्मज ) है । एवं जिस प्रकार ( लड़ते हुए ) दो भेड़ों का ( या ) पहलवानों का संयोग उभयकर्मज है, उसी प्रकार उनका विभाग भी ( उभयकर्मज ) है | 'विभागजस्तु द्विविध:' इस वाक्य में प्रयुक्त 'तु' शब्द से विभागजविभाग में कथित दोनों विभागों से भेद सूचित किया गया है। एक प्रकार का विभागजविभागकारणीभूत दोनों द्रव्यों के ही विभाग से उत्पन्न होता है, और दूसरे प्रकार का विभागजविभागकारणीभूत एक द्रव्य, और दूसरा अकारणीभूत द्रव्य, इन दोनों द्रव्यों के विभाग से उत्पन्न होता है । विभागजविभाग के ये ही दो भेद हैं ।
'कार्याविष्टे कारणं' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा कारण ( मात्र ) के विभाग से उत्पन्न विभागज ) विभाग का निरूपण किया गया है। वस्तुस्थिति यह है कि कार्य से 'आविष्ट' अर्थात् नियत रूप से सम्बद्ध (अवयव रूप) कारण में उत्पन्न हुई क्रिया जिस समय अवयवी द्रव्य के उत्पादक संयोग के विनाशक विभाग को उत्पन्न करती है, उस समय ( वह क्रिया) उस द्रव्य के