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प्रकरणम् ]
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भाषानुवादसहितम्
प्रशस्तपादभाष्यम्
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स्रोतोभूतानामपां
स्थलान्निम्नाभिसर्पणं
तद्
द्रवत्वात् स्यन्दनम् । कथम् १ समन्ताद् रोधः संयोगेनावयविद्रवत्वं प्रतिबद्धम्, अवयवद्रवत्वमध्येकार्थसमवेतं तेनैव प्रतिबद्धम् उत्तरोत्तरावयवद्रवत्वानि संयुक्तसंयोगैः प्रतिबद्धानि । यदा तु मात्रया सेतुभेद:
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यत
धारा रूपी जल का अपने आश्रय रूप स्थल से नीचे की ओर फैलना ही 'स्यन्दन' नाम की क्रिया है, जो द्रवत्व से उत्पन्न होती है । ( प्र० ) किस प्रकार ? ( उ० ) नदी के जल किनारों के सभी अवयवों के साथ पूर्ण रूप से संयुक्त रहने के कारण अवयवी (रूप जल ) का द्रवत्व प्रतिरुद्ध हो जाता है । उस अवयवी के सभी अवयवों के द्रवत्व भी उस अवयवी में एकार्थसमवाय सम्बन्ध से रहने के कारण किनारों के उसी संयोग से प्रतिरुद्ध रहते हैं । उन अवयवों के आगे आगे के अवयवों के द्रवत्व भी उक्त संयुक्तसंयोगों से प्रतिरुद्ध रहते हैं । जब थोड़ा सा भी बाँध काट दिया
न्यायकन्दली
वेगाभावात् पतनं गुरुत्वात् । तत्राद्यं कर्म गुरुत्वात्, द्वितीयादीनि तु गुरुत्वसंस्काराभ्याम् । तेषु मुसलादिष्वाद्यं कर्म गुरुत्वाद् भवति तेन कर्मणा संस्कारः क्रियते, तदनन्तरमुत्तरकर्माणि गुरुत्वसंस्काराभ्यां जायन्ते, द्वयोरपि प्रत्येकमन्यत्र सामर्थ्यावधारणात् ।
द्रवत्वस्य कारणत्वं कथयति -- स्रोतोभूतानामपां स्थलान्निम्नाभिसर्पणं यत् तद् द्रवत्वात् स्यन्दनम् । अपां यत्र स्थलान्निम्नाभिसर्पणं तत् स्यन्दनं द्रवत्वादुपजायत इत्यर्थः । कथमिति प्रश्नः । समन्तादित्युत्तरम् । समन्तात्
For Private And Personal
न रहने पर बीच में ही जो पतन हो जाता है, उसका कारण भी गुरुत्व ही है। इनमें पहिला कर्म गुरुत्व से उत्पन्न होता है और बाद के कर्म गुरुत्व और वेगाख्य संस्कार इन दोनों से उत्पन्न होते हैं । इनमें मूसल की पहिली क्रिया उसके गुरुत्व से उत्पन्न होती है । उस क्रिया से मूसल में वेग उत्पन्न होता है। इसके बाद की मूसल की क्रियायें गुरुत्व और वेग इन दोनों से ही होती हैं क्योंकि इन दोनों में से प्रत्येक में क्रिया को उत्पन्न करने का सामर्थ्य अन्यत्र निश्चित हो चुका है ।
'स्रोतोभूतानामपाम्' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा द्रवत्व से स्यन्दन रूप क्रिया की उत्पत्ति की रीति कही गयी है। किसी ऊँची जगह से जल जो नीचे की ओर फैलता है, उसे 'स्यन्दन' कहते हैं, यह स्यन्दन रूप क्रिया द्रवत्व से उत्पन्न होती है । 'कथम्' यह पद प्रश्न का बोधक है, और 'समन्तात्' इत्यादि से इस प्रश्न का उत्तर दिया गया है ।
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