Book Title: Prashastapad Bhashyam
Author(s): Shreedhar Bhatt
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 803
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir .७२८ न्यायकन्दलीसंवलितप्रशस्तपादभाष्यम् [कर्मनिरूपण प्रशस्तपादभाष्यम् पृथिव्युदयोगुरुत्वविधारकसंयोगप्रयत्नवेगाभावे सति गुरुत्वाद् यदधोगमनं तत पतनम् । यथा मुसलशरीरादिपूक्तम् । तत्राद्यं गुरुत्वात्, द्वितीयादीनि तु गुरुत्वसंस्काराभ्याम् । अभिहत नहीं है ते, उनमें भी क्रिया की उत्पत्ति होती है। ___गुरुत्व के विरोधी संयोग, प्रयत्न और वेग इन सबों के न रहने पर भी पृथिव्यादि द्रव्य केवल गुरुत्व के द्वारा जो नीचे की तरफ गिरते हैं, उस क्रिया को ही पतन' कहते हैं। जैसा कि मुसल और तीर प्रभृति द्रव्यों में कह आये हैं। उनमें पहिली क्रिया गुरुत्व से उत्पन्न होती है और दूसरी क्रियायें गुरुत्व और वेग दोनों से उत्पन्न होती हैं। न्यायकन्दली संयुक्तसंयोगं व्याचष्टे-पादादिभिर्नुद्यमानायामिति। एकत्र पृथिव्यां पादेन नुद्यमानायामभिहन्यमानायां वा ये प्रदेशा न नुद्यन्ते नाप्यभिहन्यन्ते तेष्वपि कर्म दृश्यते। तत्र चलतां प्रदेशान्तराणां नुद्यमानाभिहन्यमानभूप्रदेशैः सह संयुक्तप्रदेशसंयोगः कारणम् । यत्राभिघातक द्रव्यं भूप्रदेशमभिहत्य किञ्चिदधो नीत्वोत्पतति, तत्र प्रदेशान्तरक्रियायामुभयापेक्षः संयुक्तसंयोगो हेतुः। गुरुत्वस्य कर्मकारणत्वमाह-पृथिव्युदकयोर्गुरुत्वविधारकसंयोगप्रयत्नवेगाभावे गुरुत्वाद् यदधोगमनं तत् पतनम् । यथा मुसलशरीरादिषक्तम् । गुरुत्वप्रतिबन्धकस्य हस्तसंयोगस्याभावे मुसलस्य यदधोगमनं तत् पतनं गुरुत्वाद् भवति । एवं गुरुत्वविधारकप्रयत्नाभावे शरीरस्य पतनम्, क्षिप्तस्येषोरन्तराले 'पादादिभिर्नु द्यमानायाम्' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा संयुक्तसंयोग' की व्याख्या करते हैं। पृथिवी का एक देश पैर के द्वारा छुये जाने पर या अभिहत होने पर ( उस देश से सम्बद्ध) पृथिवी के अन्य प्रदेशों में भी-जो पैर से न छुवे गये है, और न अभिहत ही हुए हैं-क्रिया देखी जाती है। उस क्रिया का कारण वह संयुक्त संयोग है, जो क्रिया से युक्त भूप्रदेश के साथ पैर से छुए हुए या अभिहत हुए दूसरे भूप्रदेश का है। जहाँ अभिघात करनेवाला द्रव्य भूप्रदेश में अभिघात को उत्पन्न कर थोड़ा सा नीचे जाकर ऊपर की ओर उठता है । वहां जो दुसरे भूप्रदेश में क्रिया को उत्पत्ति होती है, उसका कारण (वेग और संयोग) इन दोनों से साहाय्यप्राप्त संयुक्तसंयोग ही है। ___ 'पृथिव्युदकयोः' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा गुरुत्व से कर्म की उत्पत्ति कही गयी है। मसल में हाथ का जो संयोग है, वह गुरुत्व का प्रतिबन्धक है। उसके न रहने पर ही मसल नीचे की ओर जाता है, मसल की वह पतन क्रिया गुरुत्व से उत्पन्न होती है। गुरुत्व एवं शरीरधारण के उपयुक्त प्रयत्न का अभाव, इन दोनों के रहने पर जो शरीर का पतन होता है, उसका कारण भी गुरुत्व ही है। इसी प्रकार फेंके हुए तीर में वेग के For Private And Personal

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