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न्यायकन्दलीसंवलितप्रशस्तपादभाष्यम् [गुणेऽनुमाने निदर्शन
प्रशस्तपादमाष्यम् तद्यथा-नित्यः । शब्दोऽमूर्त्तत्वात्, यदमूर्त दृष्टं तन्नित्यम्, यथा परमाणुर्यथा कर्म, यथा स्थाली, यथा तमः अम्बरवदिति, यद् द्रव्यं तत् क्रियावद् दृष्टमिति च लिङ्गानुमेयोभयाश्रयासिद्धाननुगतविपरीतानुगताः साधयनिदर्शनाभासाः ।
____ अगर कोई शब्द में नित्यत्व के साधन के लिए अमूर्त्तत्व हेतु को उपस्थित कर ( शब्दो नित्यः, अमूर्त्तत्वात् ) ( १ ) परमाणु, ( २ ) क्रिया, ( ३ ) वर्तन, (४) अन्धकार, (५) आकाश जैसी वस्तुओं को ( साधर्म्य ) निदर्शन के लिए उपस्थित करे तो ( उक्त अनुमान के लिए ) ये सभी ( साधर्म्य) निदर्शनाभास' होंगे। एवं आकाशादि निष्क्रिय द्रव्यों में केवल द्रव्यत्व हेतु से अगर कोई क्रियावत्त्व के अनुमान के लिए (६) तीर प्रभृति सक्रिय द्रव्य को उपस्थित करे तो वह भी साधर्म्य निदर्शनाभास ही होगा। कथित ये (छः ) वस्तु कथित अनुमान के लिए प्रयुक्त होने पर साधर्म्य निदर्शन के निम्नलिखित छ: दोषों में से क्रमशः एक से युक्त होने कारण साधर्म्यनिदर्शनाभास' ही होंगे, इन दोषों के ( १) लिङ्गासिद्धि, (२) अनुमेयासिद्धि, (३) उभयासिद्धि, (४) आश्रयासिद्धि, (५) अननुगत और विपरीतानुगत ( ये छः नाम हैं )।
न्यायकन्दली अनेन निदर्शनाभासा निरस्ता भवन्ति । अनिदर्शनान्यपि केनचित् साधयेण निदर्शनवदाभासन्त इति निदर्शनसदृशाः, अनेन निदर्शनलक्षणेनान्निरस्ता भवन्ति, तल्लक्षणरहितत्वात् । यावनिदर्शनाभासानां स्वरूपं न ज्ञायते, तावत् तेषां स्ववाक्ये वर्जन परवाक्ये चोपालम्भो न शक्यते कर्तुम्, अतस्तेषां स्वरूपं कथयति-यथा नित्यः शब्दोऽमूर्तत्वात्, यदमूर्त तन्नित्यं दृष्टम्, यथा परमाणुः, यथा कर्म, यथा स्थाली, यथा तमोऽम्बरवत्
निदर्शनाभासों का स्वरूप जबतक ज्ञात न हो जाए, तबतक न तो अपने द्वारा किये जानेवाले प्रयोगों में उनसे बचा जा सकता है, और न दूसरे यदि उनका प्रयोग करें तो उन वाक्यों में ( निदर्शनाभास रूप ) दोष का दिखाना ही सम्भव हो सकता है, अतः 'तद्यथा' इत्यादि वाक्यों से उनके उदाहरण और अन्त में उनके भेद दिखलाये गये हैं । अर्थात् (१) लिङ्गासिद्ध, (२) अनुमेयासिद्ध, (३) उभयासिद्ध, (४) आभयासिद्ध, (५) अननुगत और ( ६ ) विपरीतानुगत ये छः भेद निदर्शनाभास' के हैं ।
(१) नित्यः शब्दोऽमूर्तत्वात्, यथा परमाणुः' अर्थात् शब्द में अमूर्तत्व हेतु से निरवयत्व के साधन के लिए कोई अगर 'यदमूत तन्नित्यम्, यथा परमाणुः' इस प्रकार के निदर्शन वाक्य का प्रयोग करे तो वह 'लिङ्गासिद्ध' निदर्शनाभास होगा, क्योंकि परमाणु
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